रविवार, 25 दिसंबर 2011

बेटी और पेड़....


बेटी और पेड़

बेटी बोली पेड़ से, कैसे हो तुम भाई,

हम दोनों ने एक सी किस्मत है पाई,

किस्मत है पाई, दोनों को मारा जाता,

मुझे गर्भ में,तुमको बाहर काटा जाता,


बेटीकी बात सुन, पेड़ ने किया आत्मसात,

दोनों ने किया फैसला,समझाई जाऐ बात,

समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,

हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा

=================================
dheerendra

66 टिप्‍पणियां:

  1. सही बात.... लड़की और लकड़ी में अंतर ही क्या है।

    जवाब देंहटाएं
  2. कविता तो अच्छी है ही, चित्र आपने अद्भुत लगाया है।

    जवाब देंहटाएं
  3. मर्मस्‍पर्शी रचना।
    बेहतरीन संदेश छिपा है आपकी इस पोस्‍ट में।
    शुभकामनाएं.......

    जवाब देंहटाएं
  4. समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,
    हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”

    आपका सन्देश , सभी उन इंसानों तक ,
    पहुचँ जाये , जो ऐसा करते हैं ,
    दोनों की रक्षा हो सके.... !!
    अति उत्तम रचना..... :):)

    जवाब देंहटाएं
  5. बेटीकी बात सुन, पेड़ ने किया आत्मसात,

    दोनों ने किया फैसला,समझाई जाऐ बात,

    समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,

    हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”

    आपका मेरे पोस्ट पर आना अच्छा लगा ।आपकी प्रस्तुति भी अच्छी लगी । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  6. सुंदर चित्र के साथ सुंदर कविता ।

    जवाब देंहटाएं
  7. कविता अच्छी है.
    चित्र लाजवाब है.अभी भी चित्र देख रहा हूँ.

    जवाब देंहटाएं
  8. जबकि बेटियाँ ही संतति का आधार बनतीं हैं खानदान की वन्श्वेल को पल्लवित करतीं हैं जहां जाती हैं और पेड़ तो खुद ही अपनी खाद भी बन जातें हैं .ऑक्सीजन लुतातें हैं ता -उम्र .फल फूल और छाया देतें हैं .सुन्दर प्रतीक विधान लिए पर्यावरण सचेत रचना .

    जवाब देंहटाएं
  9. बेटीकी बात सुन, पेड़ ने किया आत्मसात,

    दोनों ने किया फैसला,समझाई जाऐ बात,

    समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,

    हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”- BEJOD

    जवाब देंहटाएं
  10. हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
    bahut sundar sandesh

    जवाब देंहटाएं
  11. हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
    bahut sundar sandesh

    जवाब देंहटाएं
  12. badhai dheerendr ji rachna achhi lagi mere Naye post pr amantran sweekaren.

    जवाब देंहटाएं
  13. मर्म स्पर्शीय ... और सच एमिन ये चित्र लाजवाब लगाया है आपने ... रचना के साथ भाव अनुसार ...

    जवाब देंहटाएं
  14. अच्छी कविता,
    सच में समाज मे दोनों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा..

    जवाब देंहटाएं
  15. सुन्दर भाव, बढ़िया कविता आदरनीय धीरेन्द्र भाई जी...
    सादर बधाई....

    मेरी क्रिसमस.

    जवाब देंहटाएं
  16. सुन्दर रचना, बेहतरीन संदेश

    धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  17. 13 दिसंबर की अन्ना-भक्ति कविता पर भी आपने आमंत्रित किया और मेरे टिप्पणी को डिलीट भी कर दिया। आज फिर मेरे ब्लाग पर आपने इस कविता हेतु आमंत्रित किया है -यह कविता तो ठीक भावों की है परंतु 35 वर्षों की राजनीति के बाद भी आप अन्ना भक्ति मे तल्लीन हैं यह बेहद ताज्जुब की बात है। अन्ना और उसकी टीम शोषको एवं भ्रष्टाचारियों की ढाल है। राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाली अन्ना टीम के विरुद्ध कारवाई की पहल कीजिये।

    जवाब देंहटाएं
  18. आपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  19. वाह ! बहुत खूसूरत रचना ।
    और सार्थक सन्देश ।

    जवाब देंहटाएं
  20. sahi hai....aaj ped kaato..kal khaane ko tarasnaa...
    aaj ladkii ko maaro kal bahuon ko tarasna

    जवाब देंहटाएं
  21. हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
    ..वाह!

    जवाब देंहटाएं
  22. कल 27/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  23. बहुत सुंदर संदेश देती कविता...

    जवाब देंहटाएं
  24. निशब्द किया आप की रचना ने,क्या कहा जाये तारीफ में समझ नहीं आता....बहुत बढिया....बहुत उम्दा लिखा आप ने...

    जवाब देंहटाएं
  25. बहुत ही भावमय करते शब्‍दों का संगम ..आभार इस बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के‍ लिए ।

    जवाब देंहटाएं
  26. झकझोर दिया है आपकी पोस्ट ने|जाने कब समझ आएगा कि,नूतनता और उर्वरता ही एकमात्र जीवन के आधार हें |बधाई आपको |

    जवाब देंहटाएं
  27. सुन्दर रचना, सुन्दर चित्र, सार्थक सन्देश!

    जवाब देंहटाएं
  28. बेटी की समानता पेड़ से . बहुत खूब. वास्तव में बेटियों की स्थिति इस भोगवादी युग में दयनीय होती जा रही है. विशेषतः नगरों व महानगरों में. गाँव में अभी भी बेटियों के प्रति सम्मान है. इज्ज़त है. ....... इस सुन्दर पोस्ट के लिए आभार !

    जवाब देंहटाएं
  29. बहुत ही सुंदर समानता, वाह !!!! मुझे लगता है कि रचना को और आगे बढ़ाया जा सकता है, क्या खयाल है ?

    जवाब देंहटाएं
  30. बढ़िया प्रस्तुति | अरुण कुमार निगम जी सहमत हूँ | इस रचना को थोड़ा और विस्तार दें |

    टिप्स हिंदी में

    जवाब देंहटाएं
  31. अच्छी प्रस्तुति है आपकी.
    पेड़ और बेटी का साम्य,क्या बात है.

    जवाब देंहटाएं
  32. जनता सबक सिखायेगी...बहुत अच्छी लगी

    जवाब देंहटाएं
  33. प्रभावी ढंग से कही गई सत्य हकीकत!

    जवाब देंहटाएं
  34. निशब्द कर दिया आपकी इस कविता ने ....कितनी सरलता से आज की दो विकट समस्या को सरल शब्दों में समझा दिया ...आभार

    जवाब देंहटाएं
  35. बहोत अच्छी रचना ।

    नया हिंदी ब्लॉग

    हिन्दी दुनिया ब्लॉग

    जवाब देंहटाएं
  36. वाह..
    बहुत बढ़िया तुलनात्मक भावुक अभिव्यक्ति.

    जवाब देंहटाएं
  37. सार्थक सन्देश देती सुंदर रचना..

    जवाब देंहटाएं
  38. बहुत अच्छी कविता और अद्भुत चित्र. बहुत खूब धीरेंद्र जी.

    जवाब देंहटाएं
  39. आदरणीय धीरेन्द्र जी ,बहुत -2 आभारी हैं मेरे ब्लॉग पर आने का ,वस्तुपरक टिपण्णी करने का ,वैसे एक अदना सा कवि जैसा व्यक्तित्व, कोशिश करता हूँ अभिव्यक्तियों को शब्द / स्वर देने का ....... शुक्रिया जी /
    very possessive and meaningful,
    poem thanks again.

    जवाब देंहटाएं
  40. सामयिक, सार्थक प्रस्तुति.

    जवाब देंहटाएं
  41. रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।

    जवाब देंहटाएं
  42. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
    चित्र बहुत सुन्दर लगा! उम्दा रचना!

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,