
बेटी और पेड़
बेटी बोली पेड़ से, कैसे हो तुम भाई,
हम दोनों ने एक सी किस्मत है पाई,
किस्मत है पाई, दोनों को मारा जाता,
मुझे गर्भ में,तुमको बाहर काटा जाता,
बेटीकी बात सुन, पेड़ ने किया आत्मसात,
दोनों ने किया फैसला,समझाई जाऐ बात,
समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,
हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
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dheerendra
सही बात.... लड़की और लकड़ी में अंतर ही क्या है।
जवाब देंहटाएंbahiya bhav....laazwab antim pankti...
जवाब देंहटाएंbahut sundar sir.....
कविता तो अच्छी है ही, चित्र आपने अद्भुत लगाया है।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंv7: .इतने दिनों बाद........
मर्मस्पर्शी रचना।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन संदेश छिपा है आपकी इस पोस्ट में।
शुभकामनाएं.......
sunder sandesh saheje bhavuk rachana..
जवाब देंहटाएंसमझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,
जवाब देंहटाएंहम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
आपका सन्देश , सभी उन इंसानों तक ,
पहुचँ जाये , जो ऐसा करते हैं ,
दोनों की रक्षा हो सके.... !!
अति उत्तम रचना..... :):)
बेटीकी बात सुन, पेड़ ने किया आत्मसात,
जवाब देंहटाएंदोनों ने किया फैसला,समझाई जाऐ बात,
समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,
हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
आपका मेरे पोस्ट पर आना अच्छा लगा ।आपकी प्रस्तुति भी अच्छी लगी । धन्यवाद ।
bahut achchi prastuti.
जवाब देंहटाएंसुंदर चित्र के साथ सुंदर कविता ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दचित्र, सुन्दर चित्र..
जवाब देंहटाएंकविता अच्छी है.
जवाब देंहटाएंचित्र लाजवाब है.अभी भी चित्र देख रहा हूँ.
अच्छा संदेश, बढि़या कविता।
जवाब देंहटाएंजबकि बेटियाँ ही संतति का आधार बनतीं हैं खानदान की वन्श्वेल को पल्लवित करतीं हैं जहां जाती हैं और पेड़ तो खुद ही अपनी खाद भी बन जातें हैं .ऑक्सीजन लुतातें हैं ता -उम्र .फल फूल और छाया देतें हैं .सुन्दर प्रतीक विधान लिए पर्यावरण सचेत रचना .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर जी
जवाब देंहटाएंबेटीकी बात सुन, पेड़ ने किया आत्मसात,
जवाब देंहटाएंदोनों ने किया फैसला,समझाई जाऐ बात,
समझाई जाऐ बात,दिया इंसानों को मश्वरा,
हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”- BEJOD
हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
जवाब देंहटाएंbahut sundar sandesh
हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
जवाब देंहटाएंbahut sundar sandesh
badhai dheerendr ji rachna achhi lagi mere Naye post pr amantran sweekaren.
जवाब देंहटाएंमर्म स्पर्शीय ... और सच एमिन ये चित्र लाजवाब लगाया है आपने ... रचना के साथ भाव अनुसार ...
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता,
जवाब देंहटाएंसच में समाज मे दोनों के साथ इंसाफ नहीं हो रहा..
सुन्दर भाव, बढ़िया कविता आदरनीय धीरेन्द्र भाई जी...
जवाब देंहटाएंसादर बधाई....
मेरी क्रिसमस.
Bahut sundar kavita
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, बेहतरीन संदेश
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
भीतर समाती हुई कविता |
जवाब देंहटाएं13 दिसंबर की अन्ना-भक्ति कविता पर भी आपने आमंत्रित किया और मेरे टिप्पणी को डिलीट भी कर दिया। आज फिर मेरे ब्लाग पर आपने इस कविता हेतु आमंत्रित किया है -यह कविता तो ठीक भावों की है परंतु 35 वर्षों की राजनीति के बाद भी आप अन्ना भक्ति मे तल्लीन हैं यह बेहद ताज्जुब की बात है। अन्ना और उसकी टीम शोषको एवं भ्रष्टाचारियों की ढाल है। राष्ट्रध्वज का अपमान करने वाली अन्ना टीम के विरुद्ध कारवाई की पहल कीजिये।
जवाब देंहटाएंआपके पोस्ट पर आना सार्थक हुआ । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । मेर नए पोस्ट "उपेंद्र नाथ अश्क" पर आपकी सादर उपस्थिति प्रार्थनीय है । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंbahut saarthak sandesh diya hai kavita ne.bahut sundar.
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत खूसूरत रचना ।
जवाब देंहटाएंऔर सार्थक सन्देश ।
bahut acche bhav
जवाब देंहटाएंsundar rachana
सार्थक सन्देश देती रचना ..
जवाब देंहटाएंsahi hai....aaj ped kaato..kal khaane ko tarasnaa...
जवाब देंहटाएंaaj ladkii ko maaro kal bahuon ko tarasna
Bahut khoob!
जवाब देंहटाएंMessage is clear!
हम दोनों है पृथ्वी की,"नूतनता"और"उर्वरा”
जवाब देंहटाएं..वाह!
भई बहुत सुन्दर वाह!
जवाब देंहटाएंWaah! bahut sunder
जवाब देंहटाएंकल 27/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
बहुत सुंदर संदेश देती कविता...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति,.
जवाब देंहटाएंनिशब्द किया आप की रचना ने,क्या कहा जाये तारीफ में समझ नहीं आता....बहुत बढिया....बहुत उम्दा लिखा आप ने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावमय करते शब्दों का संगम ..आभार इस बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए ।
जवाब देंहटाएंझकझोर दिया है आपकी पोस्ट ने|जाने कब समझ आएगा कि,नूतनता और उर्वरता ही एकमात्र जीवन के आधार हें |बधाई आपको |
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना, सुन्दर चित्र, सार्थक सन्देश!
जवाब देंहटाएंबेटी की समानता पेड़ से . बहुत खूब. वास्तव में बेटियों की स्थिति इस भोगवादी युग में दयनीय होती जा रही है. विशेषतः नगरों व महानगरों में. गाँव में अभी भी बेटियों के प्रति सम्मान है. इज्ज़त है. ....... इस सुन्दर पोस्ट के लिए आभार !
जवाब देंहटाएंहाँ, दोनों एक-से हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर समानता, वाह !!!! मुझे लगता है कि रचना को और आगे बढ़ाया जा सकता है, क्या खयाल है ?
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति | अरुण कुमार निगम जी सहमत हूँ | इस रचना को थोड़ा और विस्तार दें |
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंsunder tulna bahut sunder soch hai
जवाब देंहटाएंbadhai
rachana
बहुत गहरी बात कह गये!!!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति है आपकी.
जवाब देंहटाएंपेड़ और बेटी का साम्य,क्या बात है.
जनता सबक सिखायेगी...बहुत अच्छी लगी
जवाब देंहटाएंbahut sunder prabhavi rachna. kash sab is mashvare ko maan payen.
जवाब देंहटाएंप्रभावी ढंग से कही गई सत्य हकीकत!
जवाब देंहटाएंनिशब्द कर दिया आपकी इस कविता ने ....कितनी सरलता से आज की दो विकट समस्या को सरल शब्दों में समझा दिया ...आभार
जवाब देंहटाएंबहोत अच्छी रचना ।
जवाब देंहटाएंनया हिंदी ब्लॉग
हिन्दी दुनिया ब्लॉग
बहुत सुंदर संदेश देती कविता!!!
जवाब देंहटाएंवाह..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया तुलनात्मक भावुक अभिव्यक्ति.
सार्थक सन्देश देती सुंदर रचना..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता और अद्भुत चित्र. बहुत खूब धीरेंद्र जी.
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र जी ,बहुत -2 आभारी हैं मेरे ब्लॉग पर आने का ,वस्तुपरक टिपण्णी करने का ,वैसे एक अदना सा कवि जैसा व्यक्तित्व, कोशिश करता हूँ अभिव्यक्तियों को शब्द / स्वर देने का ....... शुक्रिया जी /
जवाब देंहटाएंvery possessive and meaningful,
poem thanks again.
सामयिक, सार्थक प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंरस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । नव वर्ष -2012 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में ब्लॉग की तरफ से आपको नए साल के आगमन पर शुभ कामनाएं |
जवाब देंहटाएंटिप्स हिंदी में
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंचित्र बहुत सुन्दर लगा! उम्दा रचना!
sahi kaha aapne....sundarta se smanta dikhayi hai aapne..
जवाब देंहटाएंbadhayi.