रविवार, 23 अक्तूबर 2011

एक दीप तुम जलाओ........

एक दीप तुम जलाओ

जीवन में है अँधेरा तो एक दीप तुम जलाओ
विपदाओं
का है
डेरा तो एक दीप तुम जलाओ
मिल जुल कर रहो ऐसे, जैसे है नभ में तारे
रोशन जरूर होगें सब, इक दिन बुझे सितारे
चाहो न हो बखेडा तो एक दीप तुम जलाओ

चारो तरफ खड़े है रक्षक हमारे तन के
जो न हुए कभी भी सेवक मेरे वतन के
हो दूर इनका घेरा तो एक दीप तुम जलाओ
इंसान
हो तो थोड़ी, इंसानियत दिखाओ
जो रह गए है पीछे, आगे उन्हें बढाओ

सच्चे ह्रदय से साथी, इक कदम तो बदाओ
जीवन में है अँधेरा तो एक दीप तुम जलाओ
शिकवे सभी मिटाकर, दिवाली तुम मनाओ
सबको गले लगाकर,
घर- घर दिये जलाओ
जीवन में है अँधेरा तो एक दीप तुम जलाओ

dheerendra

8 टिप्‍पणियां:

  1. विपदाओं का है डेरा तो एक दीप तुम जलाओ
    सुन्दर!

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  2. सबको गले लगाकर, घर- घर दिये जलाओ
    जीवन में है अँधेरा तो एक दीप तुम जलाओ

    बहुत सुंदर ... हार्दिक शुभकामनाएं

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  3. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  4. सुन्दर प्रस्तुति |

    शुभ-दीपावली ||

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  5. सच्चे ह्रदय से साथी, इक कदम तो बढाओ
    जीवन में है अँधेरा तो एक दीप तुम जलाओ
    ...
    छोटे छोटे कदमों से मिलकर ही कोई बड़ा काम आसान बन पड़ता है..
    सुन्दर सार्थक सन्देश देती रचना..
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें..

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  6. सबको गले लगाकर, घर- घर दिये जलाओ
    जीवन में है अँधेरा तो एक दीप तुम जलाओ ...... .बहुत सुन्दर प्रस्तुति |

    शुभ-दीपावली ||

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  7. उत्कृष्ट रचना
    आपको दीपावली,भाईदूज एवं नववर्ष की सपरिवार ढेरों शुभकामनाएं !

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