मंगलवार, 12 जून 2012

विचार,,,,

विचार,

अपने विचारों को आज बताना चाहता हूँ,
बस आपके साथ हमेशा रहना चाहता हूँ!

पर क्या करू जीवन की बाकी है पढाई,
समझ में नही आता ये कैसी है लड़ाई!

क्यों हम मोह के चक्कर में पड रहे है,
बिना हथियार इस संसार में लड़ रहे है!

जानता हूँ लड़ाई व्यर्थ की है जीवन में,
फिरभी क्यों नही बैठती है बात मन में!

मुझको इस तरह का रास्ता दिखा ईश्वर,
खत्म हो जाए अब आने जाने का सफर!

नही जाना चाहता हूँ मरने के बाद मरघट,
आत्मा में हो जाए अब तो ज्योति प्रगट!

एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!

dheerendra,"dheer"

57 टिप्‍पणियां:

  1. क्यों हम मोह के चक्कर में पड रहे है,
    बिना हथियार इस संसार में लड़ रहे है!

    इस बिना हथियार की लड़ाई में जीतना सम्भव नहीं...
    अच्छी रचना !!!

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  2. मुझको इस तरह का रास्ता दिखा ईश्वर
    खत्म हो जाये अब आने जाने का सफर

    सुंदर प्रस्तुति....
    सादर।

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  3. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    आपके विचार अनुकरणीय है .... !!

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  4. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    बढ़िया प्रस्तुति है बढ़िया विचार है .आदमी शरीर से ऊपर उठ जाए .

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  5. बहुत सुन्दर विचार.....................
    गहन भाव लिए.....................................

    सादर

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  6. बहुत सुंदर रचना धीरेन्द्र जी
    शुभकामनाएं

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  7. मोक्ष की राह कठिन है पर जब आत्मचिंतन सहज हो जाता है तो यह दुर्गम रास्ता भी आसान हो जाता है !

    ....आप तो बस मौज से जीते रहिये |

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  8. खूबसूरत भाव...बहुत सुंदर रचना.....शुभकामनाएं

    ..

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  9. क्यों हम मोह के चक्कर में पड रहे है,
    बिना हथियार इस संसार में लड़ रहे है!
    धीरेन्द्र जी ,इस संसार में लड़ने का एक ही
    अस्त्र है ध्यान !

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  10. अपने विचारों को आज बताना चाहता हूँ,
    बस आपके साथ हमेशा रहना चाहता हूँ!

    भगवान करे कि आपकी इच्छा पूरी हो । मेरे नए पोस्ट पर अहर्निश आकर मेरा हौसला बढाने के लिए आपका आभार । कविता सराहनीय है । धन्यवाद ।

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  11. मोह माया के प्रलोभन को छोड़ना इतना आसान नहीं है . लेकिन एक सीमा तक प्रयास तो करना चाहिए . सार्थक सोच .

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  12. सुन्दर भाव...गहन प्रस्तुति

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  13. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ! ... वाह

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  14. भावपूर्ण रचना क्या कहने...
    बहुत ही सुन्दर..
    भावविभोर करती रचना...

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  15. मोह माया तो हम सब में होती है. अगर हम ओह माया से दूर हो गए तो हम कुछ नहीं पा सकते. कुछ पाने की चाह होना ही मोह का जाल है

    हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)

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  16. बहुत सरल शब्दों में बहुत सुंदर विचार...

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  17. फोलोवर बन गया हूं Dheerendra जी

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  18. तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    bahut sundar rachna .......

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  19. बहुत खूब .. तन तीरथ हो जाए तो क्या बात है .. आत्मा भी मंदिर हो जाएगा ..

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  20. बहुत ही सुन्दर अर्पण ! जीवन तो जन्म से मृत्यु तक सघर्ष की कहानी है !

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  21. आपकी पोस्ट कल 14/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा - 902 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  22. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!

    जन्म से मृत्यु तक सघर्ष की कहानी है !

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  23. बेहद सुंदर भाव संयोजन से सजी उत्कृष्ट रचना बधाई ....

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  24. खुद को तैयार करने भर की तो देर होती है। जब तय कर लिया,फिर कोई बाधा नहीं।

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  25. तन और मन पवित्र हों तो तीरथ ही हो जाते हैं.
    सुन्दर सार्थक प्रेरक प्रस्तुति.

    आभार धीरेंद्र जी.

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  26. नही जाना चाहता हूँ मरने के बाद मरघट,
    आत्मा में हो जाए अब तो ज्योति प्रगट!

    एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!

    बहुत खूबसूरत सोच ....सुंदर प्रस्तुति

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  27. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    Nice Jazbaat.

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  28. बिलकुल ठीक ...
    शुभकामनायें आपको !

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  29. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    सुन्दर रचना !

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  30. टिप्स हिंदी में ब्लॉग पर HTML Tricks की सभी पोस्ट देखें

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  31. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!

    ....बहुत सुन्दर भाव....

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  32. विचार के माध्‍यम से अल्‍प शब्‍दों मे ही सब कुछ बना दिया।

    यहा भी पधारे आपका स्‍वाग है


    युनिक तकनीकी ब्‍लॉग

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  33. आत्मा कि आवाज!
    बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ
    बधाई कबूले

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  34. नही जाना चाहता हूँ मरने के बाद मरघट,
    आत्मा में हो जाए अब तो ज्योति प्रगट!

    एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    वाह ... बहुत बढिया।

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  35. मुझको इस तरह का रास्ता दिखा ईश्वर,
    खत्म हो जाए अब आने जाने का सफर!
    मुक्ती की तलाश मे बेहतरीन रच्ना ...!!
    शुभकामनायें

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  36. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!

    बहुत ही उम्दा काव्य है, आभार

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  37. एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    बढ़िया प्रस्तुति ...............
    _________________
    पी.एस. भाकुनी
    _________________

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  38. खूबसूरत भाव...बहुत सुंदर रचना!

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  39. बहुत सुंदर भाव। छायावाद की झलक।

    बधाई।

    -हेमन्त

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  40. नही जाना चाहता हूँ मरने के बाद मरघट,
    आत्मा में हो जाए अब तो ज्योति प्रगट!

    एक बात शेष है उसको भी बताना चाहता हूँ,
    तन को तमाशा नही तीरथ बनाना चाहता हूँ!
    वाह....अति उत्तम विचार !

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