शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

गुजारिश,

गुजारिश 
 बागों में फूल तोडने गया
मगर कांटा चुभ गया
काँटों की गुजारिश थी
कि फूल बहुत कोमल है
हाथ न लगाओ,
मगर दिल बेचारे की दिल से गुजारिश थी,
कि वो फूल की खुशबू में डूबना चाहता है -
मगर क्या खबर माली को
अगर काँटा चुभ जाऐ
तो कितनी तकलीफ होती है दिल को,
फूल से अच्छे कांटे होते है
जो दामन को थाम लेते है.
दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
     जो हर वक्त नाम लेते है...  

dheerendra singh bhadouriya,

53 टिप्‍पणियां:

  1. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है...
    very right

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  2. फूल से अच्छे कांटे होते है
    मुरझाने का खौफ़ नहीं होता
    सादर

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  3. दोस्त से अच्छे दुसमन होते है जो हरवक्त नाम लेते हैं ....बहुत खूब !!

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  4. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है...
    बहुत खूब*********

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  5. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    .बहुत लाजबाब .......

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  6. खूबशूरत अहसाह ,बहुत सुन्दर रचना

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  7. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है...

    वाकई नजर की बात है, बहुत ही खूबसूरत सोच.

    रामराम.

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  8. बहुत ही खूबसूरत सोच..बहुत लाजबाब .......

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  9. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है...
    बहुत सुन्दर रचना...
    सादर
    अनु

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  10. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,अभार।

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  11. बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति....

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  12. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है..
    बहुत सुन्दर ...

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  13. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो फूल के प्रहरी होते है !

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  14. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है... वाह: बहुत खूब

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  15. आपकी पोस्ट को आज की बुलेटिन अंतर्राष्ट्रीय जल सहयोग वर्ष .... ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। सादर ...आभार।

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  16. वाह , बहुत सुंदर , आभार


    यहाँ भी पधारे ,
    http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_5.html

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  18. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, बहुत लाजबाब

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  19. मैं भी कितना भुलक्कड़ हो गया हूँ। नहीं जानता, काम का बोझ है या उम्र का दबाव!
    --
    पूर्व के कमेंट में सुधार!
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज रविवार (7-7-2013) को चर्चा मंच पर है।
    सूचनार्थ...!
    --

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  20. काँटों की चुभन और दिल की चाहत , सुंदर रचना.

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  21. कविता की अंतिम पंक्तियों ने धमाल मचा दिया

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  22. बहुत खूबसूरत ,सार्थक और सटीक काव्याभिव्यक्ति.....
    साभार ....


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  23. बढ़िया है धीर भाई-
    शुभकामनायें-

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  24. वाह बहुत सुन्दर...आखिरी चार पंक्तियाँ तो दिल को भा गईं।

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  25. बहुत खूब ... फूलों से अच्छे कांटे .... पर जब चुभते हाँ तो एहसास करा जाते हैं फूलों का भी ..

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  26. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है... वाह बहुत सुन्दर

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  27. कांटे फूल की रक्षा करते हैं जो फूल को कष्ट पहुंचाता है उनका शिकार बन जाता है |
    आशा

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  28. काँटा भी कभी कभी कितना सही होता है अपनी जगह पर
    सुन्दर !

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  29. दोस्त से अच्छे दुश्मन.फ़ूल से भले कांटे.
    बहुत खूब !

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  30. कसम खुदा की ऐसी ही मुस्कुराहटें देख आया हूँ भगवान के घर में जहां स्वयं भगवान ही होस्ट था उस जगह का नाम है -पीस विलेज ,ए ब्रह्माकुमारीस री -ट्रीट सेंटर ,पता है ,
    54 ,O'Hara Road (at Route 23 A ).Haines Falls ,New-York 124 36
    Phone :518 -589 -50000
    peace-village@bkwsu.org

    लेकिन आपने वहां जाए बगैर इतनी सुन्दर रचना लिख दी बुद्धि की आँखों से सचमुच त्रिनेत्रीं हैं आप .

    तस्बीह के दानों जैसी वह , लगती है सदा , पाकीज़ा सी !
    मरियम सी कभी,सीता सी कभी और चाहे बनना ज़हरा सी !

    हाँ ऐसी इच हैं ये सब शिव -शक्तियां .इनमें अमरीकी भी हैं .

    ॐ शान्ति .




    बहुत खूब .

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  31. भावनाओं और यथार्थ में ऐसा ही कुछ अन्तर होता है । सुन्दर कविता । विलम्ब से, लेकिन हदय से आपको जन्मदिन की अनेकानेक बधाइयाँ । सादर ।

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  32. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है...
    wah sir ji bahut khoob aanand aa gya

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  33. फूल से अच्छे कांटे होते है
    जो दामन को थाम लेते है.
    दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है..

    सटीक बात कही भदौरिया साहब !

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  34. आपका अनुभव हमेशा काम आयेगा। अच्छे अल्फाज़

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  35. दोस्त से अच्छे दुश्मन होते है
    जो हर वक्त नाम लेते है...

    ..क्या बात है!

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,