जनता सबक सिखायेगी...
राजनीति की मंडी में, प्रजातंत्र नीलाम हो गया
गुंडागर्दी चोर चकार ,शहर ग्राम में आम हो गया,
गया भाड में देश, इन नेताओं की मक्कारी से
इनसे नफरत हो गई देश को,इनके भ्रष्टाचारी से,
जहर इन्हीं का बोया है , प्रेम-भाव परिपाटी में
राजनीति की मंडी में, प्रजातंत्र नीलाम हो गया
गुंडागर्दी चोर चकार ,शहर ग्राम में आम हो गया,
गया भाड में देश, इन नेताओं की मक्कारी से
इनसे नफरत हो गई देश को,इनके भ्रष्टाचारी से,
जहर इन्हीं का बोया है , प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता , चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्त है लाली में,
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
रख छूरी जनता के,अफसर मस्त है लाली में,
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मातृभूमि के,गुमनामी में आज खो गए,
भूल हुई शासन दे डाला,सरे आम दु:शाशन को
भूल हुई शासन दे डाला,सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है ,व्याकुल जनता राशन को,
सपने में कभी न सोचा था,जन नेता ऐसा होता है
चुन कर भेजो संसद में, कुर्सी में बैठ कर सोता है,
जनता की बदहाली का , इनको कोई ज्ञान नहीं
ये चलते फिरते मुर्दे है, इन्हें राष्ट्र का मान नहीं,
नेताओं की पू जा क्यों ,क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम , ये ऐसे खल - नायक है,
चुन कर भेजो संसद में, कुर्सी में बैठ कर सोता है,
जनता की बदहाली का , इनको कोई ज्ञान नहीं
ये चलते फिरते मुर्दे है, इन्हें राष्ट्र का मान नहीं,
नेताओं की पू जा क्यों ,क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम , ये ऐसे खल - नायक है,
इनके करनी की भरनी ,जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को ,जनता को भरना होगा,
झूठी कसमें खा संसद में , मंत्री पद पा जाते है
सारे तन्त्र कुतर डाले ,जनता को कच्चा खाते है,
ये कलयुग के कालनेम है ,सब कुछ इनकी माया है
राष्ट्र प्रगति का सारा धन, इनके पेट समाया है,
इनके खोदे हर गड्ढे को ,जनता को भरना होगा,
झूठी कसमें खा संसद में , मंत्री पद पा जाते है
सारे तन्त्र कुतर डाले ,जनता को कच्चा खाते है,
ये कलयुग के कालनेम है ,सब कुछ इनकी माया है
राष्ट्र प्रगति का सारा धन, इनके पेट समाया है,
सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
चुल्लू भर जनता के हिस्से, इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
dheerendra singh bhadauriya
kafi samay bad aap ki rachna ko dekh man harshit hua ,bahut hi synda aaj ki hakikat ko ujagar karti aur bharsht netaon kemuh par tamacha jadti
जवाब देंहटाएंbehatareen prastutiभूल हुई शासन दे डाला ,सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
११-१८ मई को भतीजी एवं मेरी बेटी की शादी थी,इस कारण नेट से दूर था,आज समय मिला तो आप लोगो के बीच हाजिर हूँ,,,,
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
हटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (22-05-2013) के कितनी कटुता लिखे .......हर तरफ बबाल ही बबाल --- बुधवारीय चर्चा -1252 पर भी होगी!
सादर...!
आभार ,,,,शशि जी
हटाएंकाश की जनता ये सबक सिखादे इन नेताओं को ... लगता है वो बी सब्र कर रही है ..
जवाब देंहटाएंpuriki puri ki kavita jordar hai ,bolg par kafi samay bad aap ko dekh kar
जवाब देंहटाएंsukhad laga,umda
जनता ही गूंगी बहरी हो गयी
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
सब कुछ जनता जान गई ,इनके कर्म उजागर है
जवाब देंहटाएंचुल्लू भर जनता के हिस्से, इनके हिस्से सागर है,
छल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
अंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
सच्चाई को बयान करती सार्थक रचना समय के पहले चेतावनी देती पोस्ट
बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसार्थक एवं सशक्त अभिव्यक्ति....
सादर
अनु
सब कुछ जनता जान गई........जनता सबक सिखायेगी..
जवाब देंहटाएंसही कहा ...अच्छा कहा ....
---इन दो पोंक्तियों को पुनः देखलें ...
इनसे नफरत हो गई देश को,इनके भ्रष्टाचारी से,
रख छूरी जनता के,अफसर मस्त है लाली में,
जनता को सबक सिखाना ही पडेगा ऐसे नेताओं को,सार्थक और सशक्त अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसमसामायिक समस्या की ओर ध्यान खींचती रचना..
जवाब देंहटाएंआज के राजनितिक पर सार्थक प्रभावशाली कविता .....
जवाब देंहटाएंहाँ जी सही कहा आपने , जनता सबक सिखाएगी लेकिन कब यह खुद भी नहीं जानती ....
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने ,सम-सामायिक सार्थक अभिव्यक्ति, झूठी कसमें खा संसद में , मंत्री पद पा जाते है
जवाब देंहटाएंसारे तन्त्र कुतर डाले ,जनता को कच्चा खाते है,
ये कलयुग के कालनेम है ,सब कुछ इनकी माया है
राष्ट्र प्रगति का सारा धन, इनके पेट समाया है,
सुन्दर है बहुत .
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक रचना !!.आज नेताओं ने देश की जो हालत बनायी उसका सही आंकलन किया है आपने .काफी दिन से आपकी अनुपस्थिति महसूस हो रही थी .
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : विविधा
latest post वटवृक्ष
आखिर में सबक तो जनता ही सिखाएगी लेकिन कब पता नहीं... सशक्त अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंजल्दी से छल का सूरज डूबे और नई रोशनी आये, जनता इसीके इंतजार में हैं, बहुत सटीक और सामयिक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
waaaaah waaaaah bhot khub.......aaj kal desh ke halat aes hi hai...aapne sidhi sadi juban mai bya kr diya ....dil ko choo gayi ae bat bhot khub bhot khub..slam aapko
जवाब देंहटाएंजब गली गली में चोर हो रहे है
जवाब देंहटाएंतो दिल्ली वाले क्या बुरा कर रहे हैं
वाह वाह !
सटीक व सामयिक रचना |
जवाब देंहटाएंजनता ही तो इनको सबको नहीं सिखाती !!
देश बड़ा ही अशक्त दिख रहा।
जवाब देंहटाएंबढ़िया अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंपता नहीं ये भ्रष्टाचार कभी खत्म भी होगा???
जवाब देंहटाएंछल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
जवाब देंहटाएंअंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी,
बहुत खूब लिखा है...जनता को ही सबक सिखाना है...
बिटिया और भतीजी की शादी की बधाई स्वीकारें|
देश चल रहा है राम भरोसे .... जो भी नेता बन जाता है वो इसी रंग में रंग जाता है .... जनता तो बस ठगी जाने के लिए है ।
जवाब देंहटाएंसटीक और सार्थक प्रस्तुति
बहुत सटीक रचना.....
जवाब देंहटाएंछल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी...
जवाब देंहटाएंबस यही एक आशा ऊर्जा देती है ।
सुंदर रचना ।
बस ऐसे ही चलेगा देश।
जवाब देंहटाएंबहुत खूब व्यंग्य किया है आपने देश के मौजूदा हालत पर!
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंभावनात्मक अभिव्यक्ति .पूर्णतया सहमत बिल्कुल सही कहा है आपने .आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
सार्थकता लिये सशक्त रचना ...
जवाब देंहटाएंजाने कब जनता की हिस्से वो रौशनी आएगी .....चुने भी तो किसे ..जिसको देखो पहले वह दम भरता है लेकिन फिर घर भरने लगता है ....
जवाब देंहटाएंयह आक्रोश जरुरी है सबके मन में उठे तो कुछ नयी सुबह जरुर होगी ...
ऐसे ही चलेगा देश
जवाब देंहटाएंSahi Kaha Aapne
जवाब देंहटाएंअब तो सबक सिखाना ही होगा जनता को ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें!
बहुत सच्ची बात कही आपने
जवाब देंहटाएंआखिर जनतंत्र की शक्ति जनता में ही है
सार्थक रचना
सादर!
सार्थक एवं सशक्त अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लाजवाब प्रस्तुति आदरणीय करारा जवाब दिया है आपने.
जवाब देंहटाएंछल का सूरज डूबेगा , नई रौशनी आयेगी
जवाब देंहटाएंअंधियारे बाटें है तुमने, जनता सबक सिखायेगी, .................बहुत बढियां सर ,आज के हालात की अच्छी प्रस्तुति ।
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंसामयिक और सटीक प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंजहर इन्हीं का बोया है , प्रेम-भाव परिपाटी में
जवाब देंहटाएंघोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,------
वर्तमान का सच
सटीक व्यंग किया है अव्यवस्था पर
बधाई
सटीक व्यंग ,लाजवाब प्रस्तुति ...बधाई
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंपर जनता कब सबक सिखाएगी....वो वक्त कब आएगा ???
जवाब देंहटाएंकाश ये अब जल्दी ही हो ..मेरे अग्रज शुशांत की पंक्तियाँ याद आती हैं माली तो नीलाम कर गए कुटिया कर अपनी खाली अब भौरों को करनी होगी इस उपवन की रखवाली ..कदवा सच प्रदर्शित करती शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंसही बात......सुन्दर कविता........
जवाब देंहटाएंवाह ...सुंदर सार्थक और सटीक रचना ....आम इंसान का दर्द है ..कुंठा है इसमें
जवाब देंहटाएंप्रभावशाली अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंबधाई !