सागर
उन्माद अगर पाना चाहे ,मंजिल नई अपनाऐगें
हम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाऐगें,
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
सच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ,
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें,
जाने कितने आँसू पोछे,दुत्कार मिली हर आहट पर
कहना क्या,कहानी का ,इकरार किया गरमाहट पर,
रिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे,
घर है सूना,गलियाँ सूनी ,सूने-सूने त्यौहार लगे
मनघट सूना,पनघट सूना,सूना सूना संसार लगे,
सूने-पन को खत्म करें,हम लहरों के संग गाएंगे
हम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाएंगे,
हम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाऐगें,
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
सच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ,
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें,
जाने कितने आँसू पोछे,दुत्कार मिली हर आहट पर
कहना क्या,कहानी का ,इकरार किया गरमाहट पर,
रिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे,
घर है सूना,गलियाँ सूनी ,सूने-सूने त्यौहार लगे
मनघट सूना,पनघट सूना,सूना सूना संसार लगे,
सूने-पन को खत्म करें,हम लहरों के संग गाएंगे
हम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाएंगे,
dheerbndra bhadauriya
सागर से क्या बात करें, उनके नयनों सी गहराई ।
जवाब देंहटाएंडूब डूब उतराते हरदिन, नाप नहीं पाता भाई ।।
सागर के क्या पास चलें, आंसू से भी खारा ज्यादा।
छूछे वापस लेकर लौटा, प्रेम-गगरिया नहीं डुबाई ।।
नजर में ढल के उभरते है दिल के अफ़साने,
हटाएंये और बात है दुनिया नजर न पहचाने,,,,,,,
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
बहुत सुंदर, क्या बात
सुन्दर रचना ।आभार
जवाब देंहटाएंउन्माद अगर पाना चाहे ,मंजिल नई अपनाऐगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाऐगें
...बिलकुल नया सा ख़याल
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
...वाह! बहुत सुन्दर...
सागर
जवाब देंहटाएंउन्माद अगर पाना चाहें ,मंजिल नई अपनाएंगे
हम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाएंगे
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
सच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खाएंगे
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएंगे
जाने कितने आँसू पौछे ,दुत्कार मिली हर आहट पर
कहना क्या,कहानी का ,इकरार किया गरमाहट पर
रिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएंगे
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएंगे
बहुत बढ़िया लिखा है धीरेन्द्र भाई (कृपया कविता के अपने मूल प्रारूप से वर्तनी मिलाएं .शुक्रिया )
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ ... वाकई
सागर से बतियाना सीखें..वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्रेरक!
जवाब देंहटाएंअपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
सुन्दर और प्रेरक
बहुत ही सुन्दर प्रेरणादायी रचना...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
:-)
वक्त के सैलाब से, रिश्तों का ताना बह गया।
जवाब देंहटाएंआंसुओं के चंद कतरे, और दरिया बन गया।
बढ़िया रचना.... भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंक्या कहने ... गजब की प्रस्तुती है
जवाब देंहटाएंबधाई स्वीकार करे!!
बहुत बढि़या.सुन्दर अभिव्यक्ति..आभार
जवाब देंहटाएंअपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
Sach hai aaj ke daur ka.....
बहुत सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति .बधाई
जवाब देंहटाएंअपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खाएंगे
बहुत बढिया ।
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएंगे ...................लाजवाब रचना !!
जवाब देंहटाएंरिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे
बहुत अच्छी प्रस्तुती .
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
इंडियन ब्लोगर्स वर्ल्ड
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें
बहुत बढ़िया, अन्तर्मन मेन जोश भरने वाले भावों से ओत-प्रोत , शानदार
वाह धीरेन्द्र सर लाजवाब रचना क्या बात है
जवाब देंहटाएंरिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे
बहुत बढि़या....सुन्दर अभिव्यक्ति....लाजवाब....
शानदार, लाजवाब।
जवाब देंहटाएंमैं पहले से ही आपका फोलोवर हूँ....
जवाब देंहटाएंरिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे
सचमुच हौसला बुलंद हो तो क्या नहीं हो सकता... गहन अभिव्यक्ति... आभार
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ ....bahut badhiya......
वाह !
जवाब देंहटाएंजाने कितने आँसू पोछे,दुत्कार मिली हर आहट पर
जवाब देंहटाएंकहना क्या,कहानी का ,इकरार किया गरमाहट पर ।
इतना सुंदर भाव कहां से पाते हैं धीरेंद्र जी। आपकी कविता में अब परिपक्वता झलकती है। धन्यवाद।
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
वाह क्या कहूँ इन पंक्तियों पर शब्द ही नहीं मेरे पास बहुत जज्बाती है ये रचना बहुत खूब वाह
bahut kub
जवाब देंहटाएंबुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
हम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें
वाह क्या कहने हैं
ये साहसिक उन्माद डूबने मरने का
वाह,,,,बहुत बढ़िया शानदार जज्बाती रचना,
जवाब देंहटाएंजाने कितने आँसू पोछे,दुत्कार मिली हर आहट पर
जवाब देंहटाएंकहना क्या,कहानी का ,इकरार किया गरमाहट पर
वाह !!! इन पंक्तियों के लिए विशेष दाद स्वीकारें..
है घर सूना,गलियाँ सूनी ,सूने सूने त्यौहार लगे
मन-घट सूना,पनघट सूना,सूना सूना संसार लगे
अब सूनेपन को खत्म करें,हम लहरों के संग गाएंगे
लो छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाएंगे ||
अपने भी साथ नहीं देते ,सपनों की औकात कहाँ
जवाब देंहटाएंसच्चाई में कड़वाहट है,अपनेपन की न बात यहाँ
बेहतरीन प्रस्तुति!!
रिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे,
बहुत खूब ....रिश्ते में रिश्तों का मिलना ही सम्पूर्ण है ....सागर जैसा
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें,
जाने कितने आँसू पोछे,दुत्कार मिली हर आहट पर
कहना क्या,कहानी का ,इकरार किया गरमाहट पर,
bahut hi sundar rachana ke sadar abhar Dheerendr sir .
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें
बहुत बढ़िया, जोश भरने वाले भावों से ओत-प्रोत , शानदार
बुजदिल न बनें चलते जाएँ,सागर में गोते खायेगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगें
बहुत बढ़िया, जोश भरने वाले भावों से ओत-प्रोत , शानदार
घर है सूना,गलियाँ सूनी ,सूने-सूने त्यौहार लगे
जवाब देंहटाएंमनघट सूना,पनघट सूना,सूना सूना संसार लगे,
vakai...
उत्कृष्ट रचना
जवाब देंहटाएंरिश्ते बहुत ही कठिन होता है निभाना |सच्चाई लिए सुन्दर प्रस्तुति |
जवाब देंहटाएंआशा
घर है सूना,गलियाँ सूनी ,सूने-सूने त्यौहार लगे
जवाब देंहटाएंमनघट सूना,पनघट सूना,सूना सूना संसार लगे,
स:परिवार दीपावली की ढेरों बधाइयाँ ए
रिश्ते यह अजब अनूठे है,सागर से झील मिटाएगें
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें , सागर से हम बतियाएगे
बहुत बढि़या...लाजवाब...!!
बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbehtreen aur prerak rchna!
जवाब देंहटाएंसूने-पन को खत्म करें,हम लहरों के संग गाएंगे
जवाब देंहटाएंहम छोड़ चले सूनी राहें,सागर से हम बतियाएंगे, लाजवाब
सुन्दर रचना के लिए आभार .
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना.... भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
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