सोमवार, 16 जुलाई 2012
आई देश में आंधियाँ....
अब डराने लग गई परछाइयाँ
दूर होती जा रही अच्छाइयाँ ,
लोग कीचड फेकने आते सामने
मौन होती है सब किलकारियाँ,
तोड़कर दर्पण जो बगलें झांकते
बिन बुलाये आती है कठनाइयाँ,
दोस्ती के नाम पर जब विष घुले
नष्ट हो जाती है तब आबादियाँ,
सत्ता ने न समझी आह आक्रोश की
स्वार्थ में जलने लगी चिंगारियाँ,
फूल काटों की चुभन जब सह गया
स्नेह से खिलने लगी फुलवारियाँ,
लोग पल-पल में व्यथा कहने लगे
तब उन्हें डसने लगी परछाइयाँ,
राष्ट्र एकता के सूत्र में बंध गया
कहर ढाने आई देश में आंधियाँ,
dheerendra bhadauriya ,,,
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसादर
अनु
बहुत सुंदर धीरेंद्र जी
जवाब देंहटाएंक्या बात है
अब डराने लग गई परछाइयाँ
दूर होती जा रही अच्छाइयाँ ,
अब डराने लग गई परछाइयाँ
जवाब देंहटाएंदूर होती जा रही अच्छाइयाँ ,
लोग कीचड फेकने आते सामने
मौन होती है सब किलकारियाँ,
बहुत ही बेहतरीन रचना.
सशक्त प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंसशक्त सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंयथार्थवादी रचना !
जवाब देंहटाएंsatik aur sarthak
जवाब देंहटाएंलोग कीचड फेकने आते सामने
जवाब देंहटाएंमौन होती है सब किलकारियाँ,
सार्थकता लिए सशक्त लेखन ...
nice.समझें हम.
जवाब देंहटाएंफूल काटों की चुभन जब सह गया
जवाब देंहटाएंस्नेह से खिलने लगी फुलवारियाँ,
bahut sundar ....
लोग पल-पल में व्यथा कहने लगे
जवाब देंहटाएंतब उन्हें डसने लगी परछाइयाँ,
वाह क्या बात है सटीक सार्थक चिंतन करता हुवा हर शेर है इस गज़ल का ... बहुत उम्दा ...
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
badhiya kavita dheeendra ji... samay ko rekhankit karti kavita...
जवाब देंहटाएंसोचने की बात है ! सुंदर अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंदोस्ती के नाम पर जब विष घुले
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती है तब आबादियाँ,
सत्ता ने न समझी आह आक्रोश की
स्वार्थ में जलने लगी चिंगारियाँ,
सच्ची बात । सुंदर प्रस्तुति ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंदोस्ती के नाम पर जब विष घुले
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती है तब आबादियाँ,...................दोस्त ही दोस्त को ना समझे तो क्या कह सकते हैं ..वक्त बदला...बदल गए दोस्ती के मायने भी
वाह ..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंदोस्ती के नाम पर जब विष घुले
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती है तब आबादियाँ,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति....
लोग पल-पल में व्यथा कहने लगे
जवाब देंहटाएंतब उन्हें डसने लगी परछाइयाँ,
................बहुत सुंदर धीरेंद्र जी
यही हक़ीक़त है,यही जन-जन का अनुभव।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत ..ग़ज़ल...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जनाब
जवाब देंहटाएंराष्ट्र एकता के सूत्र में बध जाए ..
जवाब देंहटाएंइससे अच्छी बात कया हो सकती है ?
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
बहुत ही खुबसूरत और दिल को छु जाने वाले जज्बात.
जवाब देंहटाएंकाश की हर भारतीय इसी तरह रास्ट्रीय एकता के बारे में सोचने लग जाये.उस दिन मेरा भारत साम्प्रदायिकता से पाक होकर अमन की पहचान बन जायेगा.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
आँधियाँ आयें, फिर आयें,
जवाब देंहटाएंहमें खंडहर से मकान बनाना आता है।
गहन बात करती गज़ल ...हर शेर अपने आप में मुकम्मल
जवाब देंहटाएंचली देश में आँधियाँ, नंगेपन की होड़।
जवाब देंहटाएंमिटी पुरानी सभ्यता, नयी रही है दौड़।।
बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंशSSSSSSSSSS कोई है
bahot bahot achhee rachnaa
जवाब देंहटाएंफूल काटों की चुभन जब सह गया
जवाब देंहटाएंस्नेह से खिलने लगी फुलवारियाँ,
अतिसुन्दर अतिसुन्दर ,वाह ,वाह वाह जितनी भी तारीफ करूँ इन पंक्तियों की वो भी कम है आज कल व्यस्तता के चलते दोस्तों के ब्लोग्स पर जाना कम हो गया था
बहुत बढ़िया गज़ल...!
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएं(अरुन शर्मा = arunsblog.in)
bahot achche.....
जवाब देंहटाएंबहुत खूब.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति भाई साहब ..कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
शुक्रवार, 20 जुलाई 2012
क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
कौन सा तरीका सेहत के हिसाब से उत्तम है ?
http://veerubhai1947.blogspot.de/
जिसने लास वेगास नहीं देखा
जिसने लास वेगास नहीं देखा
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
दोस्ती के नाम पर जब विष घुले
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती है तब आबादियाँ,
- सच्ची बात !
सटीक पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे धीरेन्द्र जी .... सुन्दर..... बिना रदीफ की मुकफ्फा गज़ल...वाह...
जवाब देंहटाएंदोस्ती के नाम पर जब विष घुले
जवाब देंहटाएंनष्ट हो जाती है तब आबादियाँ,
सत्ता ने न समझी आह आक्रोश की
स्वार्थ में जलने लगी चिंगारियाँ,
फूल काटों की चुभन जब सह गया
स्नेह से खिलने लगी फुलवारियाँ,
मन की गहराई को छूती ग़ज़ल देश प्रेम का सन्देश देती
लोग कीचड फेकने आते सामने
जवाब देंहटाएंमौन होती है सब किलकारियाँ,
बहुत अच्छी पंक्तियाँ ...