ऐ हवा महक ले आ...
ऐ हवा जा उनके जिस्म की महक ले आ,
उसे छूकर दिल के पंछी की चहक ले आ!
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
उनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
मेरी नजरें हो रही धुंधली साफ़ तस्वीर बना,
मेरी नजरों से उनके चेहरे की चमक ले आ!
दिल का शोला जख्मो की आग ठंडी है,
उनके गर्म आहों की तू दहक ले आ!
धीर की तडप को कर दे और ज्यादा"जानमेरी"
उसकी बेकरारी तड़प की वो कसक ले आ!
dheerendra,"dheer"
ऐ हवा जा उनके जिस्म की महक ले आ,
उसे छूकर दिल के पंछी की चहक ले आ!
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
उनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
मेरी नजरें हो रही धुंधली साफ़ तस्वीर बना,
मेरी नजरों से उनके चेहरे की चमक ले आ!
दिल का शोला जख्मो की आग ठंडी है,
उनके गर्म आहों की तू दहक ले आ!
धीर की तडप को कर दे और ज्यादा"जानमेरी"
उसकी बेकरारी तड़प की वो कसक ले आ!
dheerendra,"dheer"
wah, kya baat hai
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब..कसक बनी रहे..
जवाब देंहटाएंबताइए साहब,लोगबाग परेशान हैं,और आप हैं कि इस भीषण मौसम में भी गर्म आहों की दहक चाहते हैं।
जवाब देंहटाएंधीर की तडप को कर दे और ज्यादा"जानमेरी"
जवाब देंहटाएंउसकी बेकरारी तड़प की वो कसक ले आ!
sundar abhivyakti !
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
जवाब देंहटाएंउनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
बहुत खूब सर।
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
bahut khoob sir
जवाब देंहटाएंthanks
http://drivingwithpen.blogspot.in/
दिल से कही ....दिल की बात ?
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
जवाब देंहटाएंउनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
...खूबसूरत अभिव्यक्ति
ऐ हवा जा उनके जिस्म की महक ले आ,
जवाब देंहटाएंउसे छूकर दिल के पंछी की चहक ले आ!
कानों में जो शहद सी घो
लती थी कभी,
उनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
बहुत उम्दा प्रस्तुति है भाई साहब रोमांच से भरी हुई शब्द चित्र खड़ा करती वायवी महल का .
बहुत सुंदर ..................
जवाब देंहटाएंक्या मजाल हवा की, जो कहा न माने!!!!!
:-)
क्या खूब कसक है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना....
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन लिखा है आपने और बेहतरीन रचना.....आभार
जवाब देंहटाएंऐ हवा जा उनके जिस्म की महक ले आ,
जवाब देंहटाएंउसे छूकर दिल के पंछी की चहक ले आ!
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
उनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
प्रिय धीरेन्द्र जी बेहतरीन ...प्रेम-प्रणय ..कोमल भाव ...जा हवा जल्दी हमारे धीर की तड़प को अब ना बढ़ा ....जय श्री राधे - भ्रमर 5
भ्रमर का दर्द और दर्पण
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
sach bahu hi sundar. dil ki tadap ne sakar roop le liya he...bahut khoob
हटाएंbahut sundar sir....
जवाब देंहटाएंदिल से कही ....दिल की बात ....खूबसूरत अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबहुत भाव पूर्ण रचना और सुन्दर शब्द चयन |
जवाब देंहटाएंआशा
इतनी गहरी संवेदना लिए रचना आप कैसे रच लेते हैं, मै यही सोच कर हैरान हूँ।........ कुछ हमें भी सिखाइए धीरेन्द्र भाई !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंकानों में जो शहद सी घो
जवाब देंहटाएंलती थी कभी,
उनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ
वाह धीरेंद्र भाई, बहुत खूब ।
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
जवाब देंहटाएंउनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ..
वाह बहुत बढ़िया, बेहतरीन!
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंधीर की तडप को कर दे और ज्यादा"जानमेरी"
जवाब देंहटाएंउसकी बेकरारी तड़प की वो कसक ले आ!
बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति
सुन्दर प्रेम गीत ...
जवाब देंहटाएंकोमल भाव कों शब्द दिये हैं ...
दिल की बातें दिल ही जाने...
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना
bahut khub...sundar rachna...
जवाब देंहटाएंअपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...प्रेमरस से सराबोर प्यारी सी रचना के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंबेकरारी के ये तड़प ...बड़ी ही प्यारी लगी
जवाब देंहटाएंबड़ी मस्त बेकरारी है ... ये जल्द से जल्द पूरी हो जाएं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव ..
जवाब देंहटाएंकल 31/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
उनकी आँखों ने मेरा अक्श चुरा रख्खा है ,ए हवा जा उस अक्श को जा ले आ.बढ़िया प्रस्तुति है -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
बुधवार, 30 मई 2012
HIV-AIDS का इलाज़ नहीं शादी कर लो कमसिन से
http://veerubhai1947.blogspot.in/
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
कब खिलेंगे फूल कैसे जान लेते हैं पादप ?
क्या बात.... बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंसादर।
मेरी नजरें हो रही धुंधली साफ़ तस्वीर बना,
जवाब देंहटाएंमेरी नजरों से उनके चेहरे की चमक ले आ....सुन्दर लिखा है,आपने.
बहुत सुदर । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।
कानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
जवाब देंहटाएंउनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ! वाह !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
फीकी - फीकी सी लगने लगी जिंदगी
उनके चेहरे से थोड़ा नमक ले आ .
very nice poemm , chudiyon ki khanak,, i know ,, chudiyan women ko bahut achi lagti hai..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर प्रस्तुति । मेरे नए पोस्ट "बिहार की स्थापना के 100 वर्ष पर" आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंwaah..Bahut khhob kaha dheer Ji..Awesome !!
जवाब देंहटाएंए हवा महक ले आ ,
जवाब देंहटाएंगेसुओं के उनकी रेशमी ,छूअन ले आ ..
नियमित हाजिरी के लिए शुक्रिया .
बड़ी नाइंसाफी है
जवाब देंहटाएंसब कुछ मंगा लिया आपने
हवा का क्या होगा
कुछ भी तो नहीं सोचा आपने ।
हवा में भरी ये महक बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंbahut badhiya ........par beete din kahan fir se aate hain ...
जवाब देंहटाएंकानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
जवाब देंहटाएंउनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
बहुत खूबसूरत अहसास... लाजवाब रचना... आभार
बहुत सुंदर ......
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लिखा है..
जवाब देंहटाएंगजब के भाव..
बेहतरीन.....
वाह,क्या बात है !
जवाब देंहटाएंकानों में जो शहद सी घोलती थी कभी,
जवाब देंहटाएंउनके हाथों की चूडियों की खनक ले आ!
...सुन्दर अहसास !
ab jb tadap ko pukar liya hai to sab peechhe peechhe aa hi jayega.
जवाब देंहटाएंप्यार के सुंदर अहसासों से सजी खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई!
जवाब देंहटाएं