बहकी बहकी हर कली है होली में
महकी महकी हवा चली है होली में,
उन्मादों कि घटा घनेरी घिर आई
मलय पवन में चंवर झली है होली में,
अमरैय्या में कुहूँ कुहूँ करती कोयल
लगती मन को बड़ी भली है होली में,
रतन चुनरिया पिरियाई है सरसों की
चना चोली, गेंहू बाली है होली में,
रंग भरी पिचकारी स्नेह सौगात लिए
किसने क्या क्या चाल चली है होली में,
जीजाजी साली के गालो को छुकर
ढूढ़ रहे मिस्री कि डली है होली में,
नजर मिलाने तक से जो कतराती थी
वही पड़ोसन गले मिली है होली में,
भाभी देवर की मर्यादा को लेकर
घूंघट घूंघट बात चली है होली में,
पत्तों का नही पता अधर पर अंगारे
या कलमुंही टेसू जली है होली में,
कम्पित है क्यों लौ "धीर" की देहरी पर
फागुन इठलाती चली है होली में,
------------------------------------
--- DHEERENDRA,"dheer"
bahut sundar sir..
जवाब देंहटाएंओ री हो री होरियां, चौराहों पर साज ।
जवाब देंहटाएंताकें गोरी छोरियां, अघी अभय अंदाज ।
दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in
सुन्दर रचना।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रंगबिरंगी रचना...
जवाब देंहटाएंआपको भी होली की शुभकामनाएँ सर .
सादर.
बहुत बढ़िया सर!
जवाब देंहटाएंसादर
रंबिरंगी रचना..
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.in
holi ke rang se sarabor rachna
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar holi ka aagaj hai
जवाब देंहटाएंlikhne ka kaisa addbhut andaaj hai.
आशायें, हवाओं में लहरा रही हैं, होली में..
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति!
नजर मिलाने तक से जो कतराती थी
हटाएंवही पड़ोसन गले मिली है होली में,
वाह साहब! होली का रंग जमा दिया आपने. बहुत ही सुन्दर कविता. लगा जैसे रंगों से सरोबार और भांग पी कर कहीं आपको प्रत्यक्ष सुन रहे हों.
बसंती रंग में रंगी होली के इस शुभावसर पर आपको होली की वधाई और बहुत बहुत आभार.
रंगों से भरी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनजर मिलाने तक से जो कतराती थी
जवाब देंहटाएंवही पड़ोसन गले मिली है होली में,
वाह साहब! होली का रंग जमा दिया आपने. बहुत ही सुन्दर कविता. लगा जैसे रंगों से सरोबार और भांग पी कर कहीं आपको प्रत्यक्ष सुन रहे हों.
बसंती रंग में रंगी होली के इस शुभावसर पर आपको होली की वधाई और बहुत बहुत आभार.
खूबसूरत रंगों से भरी..फागुनी रचना...
जवाब देंहटाएंनिःसंदेह यह एक श्रेष्ठ रचना है।
जवाब देंहटाएंवाह रे होली....
जवाब देंहटाएंन चले बिना बात की गोली...
सुंदर है बड़े भाई ... होली की बधाई
होली पर अग्रिम शुभकामनाएं..
जवाब देंहटाएंholi ka mahole bana diya aapki is kavita ne sir
हटाएं.
जवाब देंहटाएंनजर मिलाने तक से जो कतराती थी
वही पड़ोसन गले मिली है होली में
आहाऽऽहाऽऽऽ… होली से हफ़्ते भर पहले यह आलम है तब होली के दिन क्या होगा :)
पूरी रचना आनंदित कर गई … आभार और बधाई आदरणीय धीरेन्द्र जी !
हार्दिक मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
DADA YOU HAVE SINK US IN COLOUR BEFORE IN HOLI
जवाब देंहटाएंNICE LINES WITH GREAT EMOTIONS.
आदरणीय धीरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही उम्दा प्रस्तुती , बहुत सुन्दर रचना शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार,
आपको होली की वधाई " सवाई सिंह "
बढिया रंगीली प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगे भावों से सजी रचना
जवाब देंहटाएंरंग भरी सुन्दर रचना... आभार
जवाब देंहटाएंहोली की हिलोर उठने लगी दिल मे आपकी कविता से
जवाब देंहटाएंHoli Ki hardik Badhai
जवाब देंहटाएंRang Birangi sunder post ke liye badhai
होली का बहुत ही मनमोहक वर्णन ! बधाई !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....आपको भी बधाई।
जवाब देंहटाएंसराबोर कर दिया आपने होली के रंगों में!!
जवाब देंहटाएंपत्तों का नही पता अधर पर अंगारे
जवाब देंहटाएंया कलमुंही टेसू जली है होली में,
कम्पित है क्यों लौ "धीर" कि देहरी पर
फागुन इठलाती चली है होली में,
bahut hi badhiya ,holi parv ki badhai aapko.
..... रचना है लाजवाब!!!....रंग भरी!!!!
जवाब देंहटाएंwaah holi se pahle holi ka aanad aa gaya .
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया , मजेदार - धीरेन्द्र जी रंग-बिरंगे रंगों से सरोबार कर दिया अपने.... आपको - सपरिवार, होली की बहुत बहुत बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंअभी से होली के रंगों से भीगो दिया हैं आपने
जवाब देंहटाएंकम्पित है क्यों लौ "धीर" कि देहरी पर
जवाब देंहटाएंफागुन इठलाती चली है होली में,
thanks dheerendraji jo aap mere blog per aaye aur mere followears bane.main bhi aapke blog per pahali baar aai hoon aur aapki followers ban gai hoon .bahut achchi aapne holi per kavyanjali likhi hai.dil ko choo gai aapki rachanaa badhaai aapko.
अमरैय्या में कुहूँ कुहूँ करती कोयल
जवाब देंहटाएंलगती मन को बड़ी भली है होली में,
रतन चुनरिया पिरियाई है सरसों 'कि'
चना चोली, गेंहू बाली है होली में,
कम्पित है क्यों लौ "धीर" 'कि' देहरी पर
फागुन इठलाती चली है होली में,
आखिर के दोनों बन्दों में 'कि' के स्थान पर की होना चाहिए धीरू भाई ..रचना सुन्दर है अप्रतिम है .
क्या बात है महोदय पूरा रंग होली का यहाँ उड़ेल दिया आपने.....
जवाब देंहटाएंफगुनई आहट अब रूबरू है,
जवाब देंहटाएंबस,एक मैं हूँ ,एक तू है !
सचमुच होली का रंग और उमंग भर आया है !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति !
रंग भरी सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं'धीर' जी आपकी होलीगिरी भी कमाल की है,जी.
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी सुन्दर गोली दी है आपने.
कम्पित है क्यों लौ "धीर" कि देहरी पर
फागुन इठलाती चली है होली में,
hili ki maje vali kavita holi ka sampurn aanad deti hui
जवाब देंहटाएंbahut badhai
rachana
अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut hi achhi prstuti holi me......holi ki agrim badhai sweekar karen........
जवाब देंहटाएंSundar rachana.shubhkamanaye.
जवाब देंहटाएंsundar post hae .
जवाब देंहटाएंSIR HOLI BAHUT SUNDER HOGI APKI KAVITA JAISI.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंbahut bahut aapko bhi holi ki badhai ....
Happy holi aap sabon ko... holi kee panktiyaan khubsurat hai... saare rangon ka samavesh....
जवाब देंहटाएंलाजवाब................रंगों का त्यौहार मुबारक हो!!
जवाब देंहटाएं