गुरुवार, 5 जनवरी 2012

जिन्दगीं....





















जिंदगी


जिंदगी बस हुक्म सूना देती है,
जो भी जी चाहे,सजा देती है

जिससे उम्मीद नही होती बिलकुल
बस वही चीज दगा देती है,..

आँख के आँसू भी घुलने पाए
उससे पहले कुछ और रुला देती है,

जब भी करता हूँ मै संभलने की कोशिश
मेरे कदमों को जरा और, लडखडा देती है,

जब भी चाहा है सितारों सा चमकना मैंने,
मेरे घर का नन्हा सा दिया भी बुझा देती है

नादाँ दुनिया के दस्तूर पर आती हँसी मुझको
हर शाम मझे रोने की वजह बना देती है,

मेरे मासूम से दिल की हसरतो, छोडो दामन
है कहीं एक धड़कन जो हरदम सदा देती है,

बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है,

ऐ जिन्दगी कैसे तुझे प्यार करू ,
तेरी हर सुबह मेरी उमर कम कर देती है ,

जिंदगी बस हुक्म सूना देती है,

Dheerendra…….

85 टिप्‍पणियां:

  1. वाह वाह वाह...
    बहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी...
    भा गयी आपकी कविता.
    सादर.

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  2. इसी का नाम जिंदगी है.....
    सुंदर रचना।

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  3. तभी तो ज़िंदगी एक अबूझ पहेली है.. बहुत अच्छी रचना!!

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  4. Bahut sahi kaha aapne....

    badhiya prastuti....

    Aapki post ka "Shirshak" (Title) untitled batata hai...kripya title post ke upar di jagah par bhi likhein...dhanyavaad

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  5. जिंदगी बस हुक्म सूना देती है,
    जो भी जी चाहे,सजा देती है
    badhai dheerendr ji jindgi ka tajurba ....sath hi shbdon ka chayan .... bhai kya khoob likha hai ...abhar.

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  6. जिंदगी बस हुक्म सुना देती है,
    जो भी जी चाहे,सज़ा देती है

    वाह! क्या बात है!!
    इन दो पंक्तियों में आपने जीवन का सार समा दिया है।

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  7. जब भी चाहा है सितारों सा चमकना मैंने,
    मेरे घर का नन्हा सा दिया भी बुझा देती है

    प्रशंसनीय प्रस्तुति ......!

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  8. सार्थक पोस्ट है कि जिन्दगी हर कदम पर इम्तिहान लेती है |

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  9. जिंदगी बस हुक्म सूना देती है,
    जो भी जी चाहे,सजा देती है

    जिससे उम्मीद नही होती बिलकुल
    बस वही चीज दगा देती है,..


    वाह वाह वाह !
    क्या बात है सर जी बहुत ही सुंदर रचना !
    जिंदगी कैसी है पहेली हाय !

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  10. मेरे मासूम से दिल की हसरतो, न छोडो दामन
    है कहीं एक धड़कन जो हरदम सदा देती है,
    बहुत सुंदर रचना ....बधाई

    ज़िन्दगी की मजबूरियों को सह कर भी कर्मरत रहते हुए आस जलती रहे...

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  11. aaj aapki ek alag si kavita padne ko mili ....kafi sundar likha hai..abhar..

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  12. bahut umda prastuti. jindagi har kadam par imthaan leti hai yahi hai jindagi ki prakarti.

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  13. ज़िंदगी किसी पहली से कम नहीं ....बहुत अच्छा लिखा है आपने बहुत खूब...कुछ ऐसे ही विचार मैंने भी प्रस्तुत लिए हैं "आपकी पसंद" वाले ब्लॉग पर समय मिले तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  14. नादाँ दुनिया के दस्तूर पर आती हँसी मुझको
    हर शाम मझे रोने की वजह बना देती है,
    achhi lagi

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  15. बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
    थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है,
    बहुत सुन्दर सार्थक पोस्ट... आभार

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  16. सचमुच जिंदगी अजीब खेल तमाशॆ दिखा देती है ॥

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  17. जब भी करता हूँ मै कोशिश संभलने की
    मेरे कदमों को जरा और, लडखडा देती है,

    जब भी चाहा है सितारों सा चमकना मैंने,
    मेरे घर का नन्हा सा दिया भी बुझा देती है
    प्रिय धीरेन्द्र जी बहुत सुन्दर ..जिन्दगी इसी का नाम है न जाने कितने सारे रंग दिखा देती है .....
    नव वर्ष आप सपरिवार एवं समस्त मित्र मण्डली को ढेर सारी खुशियाँ लायें प्रेम ही प्रेम भर जाए ....जय श्री राधे
    साधुवाद
    भ्रमर ५

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  18. जब भी करता हूँ मै कोशिश संभलने की
    मेरे कदमों को जरा और, लडखडा देती है,
    जब भी चाहा है सितारों सा चमकना मैंने,
    मेरे घर का नन्हा सा दिया भी बुझा देती है...
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! सच्चाई को बड़े ही खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है आपने! इसी का नाम है ज़िन्दगी!

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  19. "जिंदगी बस हुक्म सूना देती है,
    जो भी जी चाहे,सजा देती है"

    गहरी कविता।

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  20. सहज स्फूर्त झरने सी निसृत ग़ज़ल .बधाई .

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  21. बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
    थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है,

    उम्मीद पर ही दुनिया कायम है जी.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

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  22. बहुत सुन्दरता से अपने मन की बात प्रस्तुत किये है !
    आभार !

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  23. अच्छी पंक्तियाँ .......सुन्दर भाव ..............

    मेरा ब्लॉग पढने और जुड़ने के लिए क्लिक करें.
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  24. मेरे मासूम से दिल की हसरतो, न छोडो दामन
    है कहीं एक धड़कन जो हरदम सदा देती है,

    बहुत ही बेहतरीन रचना ! मन को छू लेने वाली अभिव्यक्ति ! नव वर्ष की शुभकामनायें स्वीकार करें !

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  25. आँख के आँसू भी न घुलने पाए
    उससे पहले कुछ और रुला देती है,-जिंदगी,

    वाह - - बहुत खूब ! !

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  26. आँख के आँसू भी न घुलने पाए
    उससे पहले कुछ और रुला देती है,

    bahut umdaa.
    life is like that.

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  27. लाजवाब गज़ल...!!
    ज़िंदगी के हुक्म आप चाहे या ना चाहें...मानने पड़ते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  28. लाजवाब गज़ल...!!
    ज़िंदगी के हुक्म आप चाहे या ना चाहें...मानने पड़ते हैं .

    जवाब देंहटाएं
  29. जिंदगी के विविध रूप ।
    बढ़िया रचना ।
    बस सूना को सुना कर दें तो सही रहेगा ।

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  30. अच्छी रचना।
    यही सब तो होता है जिंदगी में।

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  31. बहुत सुंदर कविता...लेकिन जिंदगी तो एक उपहार है...एक नेमत है..एक नगमा है..हम उसे स्वीकार नहीं करते,हम ही उसे नहीं गाते...

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  32. ऐसा क्यों होता है.... ????
    आँख के आँसू भी न घुलने पाए ,
    उससे पहले कुछ और रुला देती है.... आपकी रचना मेरी उलझने बढ़ा दी....

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  33. आपकी कविता "जिंदगी" अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट " तुम्हे प्यार करते-करते कहीं मेरी उम्र न बीत जाए " पर आपके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  34. बहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी..अच्छी रचना........

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  35. बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
    थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है,
    badhiya rachna hai ....

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  36. जिससे उम्मीद नही होती बिलकुल
    बस वही चीज दगा देती है,..

    सुंदर भावपूर्ण रचना !!

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  37. जिंदगी बस हुक्म सुना देती है,

    वाह आदरणीय धीरेन्द्र भाई जी, सुन्दर रचना....
    सादर बधाई स्वीकारें...

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  38. बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
    थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है ।

    थोडी सी उम्मीद हमेशा बनी रहती है वही बनती है हमारा संबल आगे जीने के लिये ।
    बहुत सुंदर सच्चाई बयां करती गज़ल ।

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  39. "मेरे मासूम से दिल की हसरतो, न छोडो दामन
    है कहीं एक धड़कन जो हरदम सदा देती है,"

    क्या खूब कहा है आपने ! बहुत ही खूबसूरत !

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  40. बहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी.

    वाह वाह.

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  41. बहुत सुन्दर और सारगर्भित प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  42. बहुत सुंदर रचना...जिन्दगी ऐसी ही होती है|

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  43. बहुत सुंदर रचना...जिन्दगी ऐसी ही होती है|

    जवाब देंहटाएं
  44. बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
    थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है,
    जिंदगी बस हुक्म सूना देती है,
    ज़िंदगी एक पहेली है.बहुत सुन्दर धीरेन्द्र जी.

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  45. इसी उतर चढ़ाव का नाम तो जिन्दगी है , एस सबके बिना तो जिन्दगी कुछ ज्यादा नीरस लगेगी . सुन्दर अभिव्यक्ति .

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  46. जिससे उम्मीद नही होती बिलकुल
    बस वही चीज दगा देती है,..
    अति सुन्दर प्रस्तुति

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  47. जिन्दगी क्या से क्या बना देती है,
    जो भी जी चाहे सजा देती है।
    सुन्दर रचना, सचमुच हम परिस्थितियों के गुलाम
    हैं।

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  48. क्या बात है!!बहुत सुंदर !
    कविता को एक नए अंदाज़ में परिभाषित किया है आप ने !

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  49. क्या करें .. जिंदगी ऐसी ही होती है

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  50. देरी से आने के लिए क्षमा

    जिंदगी के नए आयाम सामने आये ...बहुत खूब

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  51. बस यही एक ख्वाहिश है जिंदगी में जीने के लिए,
    थोड़ी सी उम्मीद जो दिल में जगा देती है,
    bahut khoob....aabhar

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  52. जिससे उम्मीद नही होती बिलकुल
    बस वही चीज दगा देती है,..
    waah! kitni sateek baat!!!

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  53. जिन्‍दगी ऐसी ही है..

    रूकते हुए लोगों को सदा देती है...।

    प्रभावशाली ग़ज़ल...।
    अनुजा

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  54. जिंदगी बस हुक्म सुना देती है। वाह! क्या बात है।

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  55. बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको .

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  56. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति
    बहुत बहुत सुभकामनाएँ के साथ स्वागत है नई पोस्ट :"काश ! हम सभ्य न होते" http://kpk-vichar.blogspot.in

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  57. ऐ जिन्दगी कैसे तुझे प्यार करू ,
    तेरी हर सुबह मेरी उमर कम कर देती है....
    वाह ...मन को छू गयी रचना ...

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,