गुरुवार, 8 सितंबर 2011

किराया






















किराया
.......


माता
बोली पुत्र से,होकर के गम्भीर
बड़ा किया क्या इसलिए,सही पेट की पीर
सही पेट की पीर,नौ माह पेट में रक्खा
मौका आया तो हमे,दे रहे हो धोखा

माँ के शब्द सुन, पुत्र रह गया दंग
गुस्साकर माँ से बोला, नहीं रहना है संग
नहीं रहना संग ,अपना किराया बोलो
नौ माह का क्या,किराया एक साल का लेलो ....


dheerendra........

2 टिप्‍पणियां:

  1. कभी समय मिले तो अपनी एक रचना "गुडिया की पुडिया" पर आपका द्रष्टिपात चाहूँगा - धन्यवाद्

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  2. Bahut Sunder kavita hai.
    -Abhijit Singh

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,