शनिवार, 10 मई 2014

आम बस तुम आम हो

आम बस तुम आम हो 

हे आम  के बृक्ष उदार  तुम, उपकार  करते  हो  सदा
भगवान्  ने  तुमको रचा है,करने  जगत  का फायदा

तुम  हो  मदन के  बाण , तुम में खूबियाँ  बे शुमार है
पथिकों   विहंगों  प्रेमियों  को, तुम्हीं  से  बस प्यार है

बौर आते  ही बसंत  में, तब  सुगंध  सब  को  मोहती
विखर उठती  छटा अनुपम जो मधुलिका सी सोभती

पत्थर  चले  डंडे   पड़े  राजा   फलों  में  विख्यात  हो
रहते  सदा  चुप  देखते ,जैसे  तुम्हे  कुछ  हुआ न हो

ठंडक   सहो , गर्मी   सहो ,  बर्षात   तो  सहते   सदा
ओले  गिरे  आँधी चले , विचलित  न  होते  तुम कदा

औषधि  गुणों  की खान  तुम  हो, पंछियों  के आस रे
शान्ति  मिलती   यात्रियों  को, सुखद  एक  प्रवास  रे

पूजनीय   उदार   तुम   हो   कल्याणकारी   ताज  हो
 तुमसे बने,जो 'आम 'खाये ,हितकारियों  का  राज  हो 

उपयोग  बाहुलता  लिये , हे आम  बस तुम  आम  हो
यह चिरातन  सत्य है , कि तुम  शान्ति के  पैगाम हो
 
dheerendra singh bhadauriya

39 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा है आम तक है आदमी होने के बाद आम आदमी हो जाता है फिर शुरु होती है गड़बड़ :)

    बहुत सुंदर रचना ।

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  2. हे आम के वृक्ष उदार तुम, उपकार करते हो सदा
    भगवान ने तुमको रचा है,करने जगत का फायदा

    वाह वाह !

    आम को ले'कर बहुत सुंदर रचना लिखी है आदरणीय धीरेन्द्र सिंह जी

    सादर शुभकामनाओं सहित...

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  3. आम को खास बनाती हुई आपकी ये कविता बहुत अच्छी लगी।

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  4. ek ye hi to hain jo kahe jate aam hain aur hote khas hain .nice expression .thanks

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (11-05-2014) को ''ये प्यारा सा रिश्ता'' (चर्चा मंच 1609) में अद्यतन लिंक पर भी है!
    --
    मातृदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  6. फलों का राजा है तो यह आम 'आम' कहाँ रहा ! यह भी तो 'खास' ही हो गया ना फलों में ! नि:संदेह आम तो बस आम है ! इस जैसा कोई और कहाँ ! बहुत ही सुंदर रचना !

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  7. हे आम के बृक्ष उदार तुम, उपकार करते हो सदा
    भगवान् ने तुमको रचा है,करने जगत का फायदा
    बहुत सुन्दर, कहते है ना परोपकारार्थ फलते फूलते वॄक्ष !

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  8. फल का राजा आम के लिये बेहद सुन्दर प्रस्तुति !!

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  9. बहुत सुन्दर रसपूर्ण अभिव्यक्ति

    आभार

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  10. papa bhut achhi kavita aam par apne ghar ke aam yaad a gye

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  11. सुन्दर रचना धीरेन्द्र भाई ..आम की महिमा न्यारी है
    भ्रमर ५

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  12. आम को विशेष बना दिया आपने ... बहुत ही अच्छी रचना है ..

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  13. आम को तो बहुत ख़ास बना दिया आपकी रचना ने!!

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  14. हे आम बस तुम आम हो........बहुत सुन्दर !

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  15. "आम ' है पर फलों का राजा है
    किन्तु "विशेष नहीं आम फल है !
    बेटी बन गई बहू

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  16. फलों के राजा आम की प्रतिष्ठा में प्रस्तुत रचना अति प्रशंसनीय है बहुत- बहुत बधाई

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  17. सबको भाता आम
    आम जैसी मीठी रचना

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  18. आम पर लाजवाब रचना.... आम की तरह रचना में भी बहुत मिठास है.......बहुत बहुत बधाई...
    नयी पोस्ट@आप की जब थी जरुरत आपने धोखा दिया

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  19. आम जब तक आम है तब तक खास है, जैसे ही खास बन गया तो आम ना रहेगा … बहुत सुन्दर रचना

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  20. फल का राजा आम , सुन्दर प्रस्तुति !!

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  21. बहुत उम्दा रचना |आम आम होते हुए भी खास होता है गर्मीं के मौसम में |

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  22. आम तो आम है..फलों का राजा..जो खास बन जाता है..

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  23. अदभुत रचना, शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  24. अपने सुन्दर शब्दों से आम को खास बना दिया आपने....

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  25. बहुत सुन्दर कविता.....बहुत खूब

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  26. फलो का राजा आम , बहुत सुन्दर प्रस्तुति !!

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