अनाडी बन के आता है
अनाडी बन के आता है, खिलाड़ी बन के जाता है
लगे जो दाग दामन में, उन्हें सब से छुपाता है,
अगर इंसान ये होता , कभी का मर गया होता
फकत दो वक्त की रोटी में,ये क्या-क्या मिलाता है,
मेरा हमर्दद बन करके , मेरे ही आँख का आंसू
चुरा करके उन्हें बाजार में , ये बेच आता है,
कभी उम्मीद बन जाता,कभी संगीन बन जाता
मेरी ही जेब पर हर वक्त, ये पहरा लगाता है,
न ये जाने न मैं जानूं , न ये माने न मैं मानूं
वही किस्से यहाँ आकर,मुझे हर दिन सुनाता है,
मैं अपनी भूख से डरता नहीं,बस नींद से डरता
मेरे सपनों में आ करके ,मेरी कमियां गिनाता है,
है इसके शब्द में जादू, ये जादू का असर यारा
मेरे ही हाथ से ये क़त्ल , मेरा ही कराता है,
कहीं पर आम बन जाता, कहीं पर ख़ास हो जाता
सड़क पर हर खड़ा बंदा , इसे नेता बताता है,
विक्रम सिंह ( केशवाही )शहडोल.म.प्र.
Good Morning
जवाब देंहटाएंसच्ची बात की उम्दा अभिव्यक्ति
आपकी लिखी रचना मंगलवार 29 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
आभार । यशोदा जी ....।
हटाएंवाह ! बहुत सही कहा है..
जवाब देंहटाएंसहमत ...
जवाब देंहटाएंरचना बहुतही सुंदर
जाने कैसे नेता हैं ये ... पर अपने बाखूबी लिखा है इनको ...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ..बहुत सही लिखा..
जवाब देंहटाएंबढ़िया !
जवाब देंहटाएंबढिया!!
जवाब देंहटाएंशब्द व्यंजना बहुत खूब । भावों से असहमत।
जवाब देंहटाएंकहीं पर आम बन जाता, कहीं पर ख़ास हो जाता
जवाब देंहटाएंसड़क पर हर खड़ा बंदा , इसे नेता बताता है,.. बहुत खूब!
अभी तो आम का सीजन है कुछ दिन बाद खास वाले छा जायेगें .....
एक दम सटीक लेखन
जवाब देंहटाएंमेरा हमर्दद बन करके , मेरे ही आँख का आंसू
जवाब देंहटाएंचुरा करके उन्हें बाजार में , ये बेच आता है,
बहुत सही लिखा है ।
आभार । शास्त्री जी .....।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंजहाँ जाता है वहीँ किसी से गाल पर थप्पड़ खाता है
बिन मांगे बिन बात के कांग्रेस का समर्थन पाता है ..
बहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंक्या खूब लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंजी बाबरो हो गयो है
सच्ची बात एक दम.....
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