शनिवार, 19 अप्रैल 2014

उठती टीस एक मन में.

उठती  टीस  एक  मन में
न्योला एक किसान ने पाला,वह करता था उससे प्यार
पत्नी और  दुधमुहा  बच्चा, बकरे  बकरी का था संसार

टिक टिक कर दौड़ा फिरता,न्योला था मालिक के साथ
क्षमता भर रोज बटाता,अपने मालिक के कामो में हाथ

सच्चा साथी  सच्चा सेवक, स्वामिभक्त  था  वह प्राणी
मालिक था निश्चिन्त किन्तु,पत्नी थी इससे अनजानी

न्योले  को घर  छोड़  एक दिन,गई  कुआँ  में लेने  पानी
बच्चे  को  था  पास  सुलाया , न्योला  करता  निगरानी

एक सांप  तब घर  पर आया ,न्योले का  था शत्रु  महान
झपट  पकड़ टुकड़े  कर डाले,सेवा का  उसको था ध्यान

मुँह था सना खून से लथपथ ,आई तभी मालकिन पास
न्योला  आया  तभी सामने,उसे  दिलाने  यह  अहसास

हुई  संशकित  उसे  देखकर, फेका  सिर से घडा  तपाक
सोचा  बच्चे को  खा  डाला,अरे  लाभ क्या  इससे ख़ाक

बिन जाने  बिन सोचे  देखे ,न्योले  को  पत्थर  दे  मारा
पत्थर पड़ा  जोर से त्योही,न्योला वहीं  मर गया बेचारा

घर  में  घुसी  खेलता  बच्चा , उसे  देखकर  सहम  गई
रोती  और  पीटती  छाती , पछताती  मति  भटक  गई

अब  पछताने  से  क्या  होता, उसने ही  मारा है  उसको
बिना  विचारे  सोचे  समझे ,हत्यारा समझा  है जिसको

 कभी-कभी  ऐसे  कुछ  मौके,आ  जाते  जब  जीवन  में 
 पश्चाताप  हाथ  रह  जाता , उठती  टीस  एक  मन में


dheerendra singh bhadauriya  

24 टिप्‍पणियां:

  1. नेवले की यह कहानी बचपन में सुनी थी आज इसे कविता के रूप में पढ़कर अच्छा लगा !
    बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  2. अब पछताए होत का जब चिड़िया चुग गईं खेत…
    सांप और नेवले की सुन्दर शिक्षाप्रद कहानी ...

    जवाब देंहटाएं
  3. pahle kabhi padhi thi ye kahaani...
    aaj kavita roop me suni... achchi lagi... :)

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर और शिक्षाप्रद....

    जवाब देंहटाएं
  5. छुटपन की कथा का काव्यरूपांतरण पढकर मन गद्गद हो गया!!

    जवाब देंहटाएं
  6. बचपन कि यादों को रचना में बाखूबी उतारा है आपने ...
    लाजवाब ...

    जवाब देंहटाएं
  7. सांप और नेवले की कहानी को काव्य रूप में बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,आभार आपका।

    जवाब देंहटाएं
  8. बस यही भूल हम करने से बचे रहे......तो कितने दर्द जीवन में काम हों

    जवाब देंहटाएं
  9. बचपन में पढ़ी यह कथा याद हो आई। सही है , ग़लतफ़हमी में क्रोध से पूर्व विचार करना आवश्यक है !

    जवाब देंहटाएं
  10. बिन सोचे जो करे सो पाछे पछताए. कहानी का काव्यरूपांतरण पढ़कर बहुत अच्छा. बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  11. बिना बिचारे जो करे सो पाछे पछताय...

    जवाब देंहटाएं
  12. कहानी को कविता में ढाला बहुत अच्छा लगा पढ कर।

    जवाब देंहटाएं

आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,