"सवैया छंद"
फूल बिछा न सको
फूल बिछा न सको
1
पथ में यदि फूल बिछा न सको,तुम कंटक जाल बिछाव नही |
यदि नेह नहीं दिखला सकते , कटु बैन सुना दुतराव नही |
तुम राह सही बतला न सको, भटके मन को भटकाव नही |
मृदुहास न बाँट सको यदि तो , हँसते मन को भरमाव नही |
2
मिलता सबको नहि जीवन ये,हर आस-प्रदीप कहाँ जलता |
कब जीवन की हर चाह फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ खिलता |
मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव कहाँ भरता |
पथ में यदि फूल बिछा न सको,तुम कंटक जाल बिछाव नही |
यदि नेह नहीं दिखला सकते , कटु बैन सुना दुतराव नही |
तुम राह सही बतला न सको, भटके मन को भटकाव नही |
मृदुहास न बाँट सको यदि तो , हँसते मन को भरमाव नही |
2
मिलता सबको नहि जीवन ये,हर आस-प्रदीप कहाँ जलता |
कब जीवन की हर चाह फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ खिलता |
मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव कहाँ भरता |
प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता |
सुन्दर
जवाब देंहटाएंफिर भी जीवन चलता है रहता..
जवाब देंहटाएंबढ़िया सवैया और सुन्दर अभिव्यक्ति |
जवाब देंहटाएंआशा
खूबसूरत अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति सर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव लिए प्रस्तुति सुन्दर कामना अद्भुत नहीं संग्रहनीय
जवाब देंहटाएंसच है, जीवन,
जवाब देंहटाएंचला चले मन।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएं:-)
सुन्दर दोहे/..
जवाब देंहटाएंक्या बात वाह!
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुतीकरण-
जवाब देंहटाएंआभार -
बहुत सुंदर और सार्थक बात कही ...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अभिव्यक्ति, सादर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मृदुहास न बाँट सको यदि तो , हँसते मन को भरमाव नही ।
जवाब देंहटाएं-------------------------------
अच्छे विचार, सुंदर छंद।
बहुत बढ़िया है आदरणीय-
जवाब देंहटाएंआभार आपका-
sacchi bat ....
जवाब देंहटाएंमिलता सबको नहीं जीवन ये,हर आस-प्रदीप कहाँ
जवाब देंहटाएंजलता |
कब जीवन की हर चाह फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ
खिलता |
मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव
कहाँ भरता |
प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव
कहाँ मिलता |
बहुत सुन्दर सार्थक पद -नर हो न निराश करो मनको ,कुछ काम करो ,कुछ काम करो ,
जग में रहकर कुछ नाम करो।
ग्रहण करने योग्य नीति-वचन !
जवाब देंहटाएंग्रहण करने योग्य नीति-वचन !
जवाब देंहटाएंग्रहण करने योग्य नीति-वचन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर विचार ,बढ़िया अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंlatest post नसीयत
बहुत सुन्दर भाव लिए अद्भुत नहीं संग्रहनीय प्रस्तुति,,,,
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार, सुंदर छंद।
जवाब देंहटाएंवाह, बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर काव्य और जीवन दर्शन भी ।
जवाब देंहटाएंप्रेरक और उत्साहवर्धक पंक्तियां।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव लिए प्रस्तुति सुन्दर कामना अद्भुत नहीं संग्रहनीय
जवाब देंहटाएंbahut sunder bhav....
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत भाव जीवन के सच के साथ...
जवाब देंहटाएंसुंदर काव्य जीवन के सच के साथ...
जवाब देंहटाएंसुंदर सन्देश देती पंक्तियाँ |
जवाब देंहटाएंमन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव कहाँ भरता |
जवाब देंहटाएंप्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता ..
सच कहा अहि ये जीवन धूप छाँव है ... सभी कुछ सभी को नहीं मिलता ... संतोष ही जीवन है ...
प्रिय ! हो न निराश कभी जग में....सुंदर रचना
जवाब देंहटाएं"आशा से आकाश थमा है कभी निराशा हो न मन में " प्रशंसनीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंआशा जगाती सुंदर पंक्तियाँ !
जवाब देंहटाएंकब जीवन की हर चाह फली, हर प्रेम - प्रसून कहाँ खिलता |
जवाब देंहटाएं......बहुत खूबसूरत मनभाती रचना
जवाब देंहटाएं"प्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता" .....सत्य है | सुंदर प्रस्तुति |
बहुत खूब ..
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव. सुंदर सन्देश देती पंक्तियाँ |.....
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंhttp://yunhiikabhi.blogspot.com
wah kya kahane.......... gajab bhai shahab ....hardik badhai .
जवाब देंहटाएंवाह वाह !!! बहुत ही सुंदर रचना,,,,
जवाब देंहटाएंगणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाए !
मन माफिक प्रीत कहाँ मिलती,मन का हर घाव कहाँ भरता |
जवाब देंहटाएंप्रिय ! हो न निराश कभी जग में,मन चैन सदैव कहाँ मिलता |
........... सुंदर पंक्तियाँ.....संग्रहनीय प्रस्तुति :)