![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgPNCtWT4UO87EO-5DHCXG1jnN1ZoqiF4NfcVsiKwNiy2jiDooMUG667ZRelN5U36g0894KMNbc6GKnRLedmIIxVJGZ3C_sSJK5vwKeGPDdhJHAlHLjoZHJj8aAWxN89D7X4K2vaArrxsc/s400/80804a.jpg)
किराया.......
माता बोली पुत्र से,होकर के गम्भीर
बड़ा किया क्या इसलिए,सही पेट की पीर
सही पेट की पीर,नौ माह पेट में रक्खा
मौका आया तो हमे,दे रहे हो धोखा
माँ के शब्द सुन, पुत्र रह गया दंग
गुस्साकर माँ से बोला, नहीं रहना है संग
नहीं रहना संग ,अपना किराया बोलो
नौ माह का क्या,किराया एक साल का लेलो ....
dheerendra........
कभी समय मिले तो अपनी एक रचना "गुडिया की पुडिया" पर आपका द्रष्टिपात चाहूँगा - धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंBahut Sunder kavita hai.
जवाब देंहटाएं-Abhijit Singh