नेता जी से -
उनकी पत्नी ने पूछा - ?
अजी, आखिर निरक्षरता, बेरोजगारी,
व देश की अन्य समस्याये,
पूर्ण रूपेण हल क्यों नही हो पाती,
पहले तो नेता जी झुझलाये
फिर उन्होंने,
राजनीति के
सारे राज समझाये!
और बोले -
यदि सभी निरक्षरों को
मिल जाएगा ज्ञान
फिर अपना कौन रखेगा ध्यान ?
यदि बेरोजगारों को
मिल जाएगा रोजगार
फिर अपना कौन झाकेगा द्वार ?
किसको देगें हम आश्वासन,
और कौन सुनेगा अपना भाषण ?
आगे बढे और बोले -
यदि सभी समस्यायें सुलझा दी गई
तथा रोक दी गई हड़तालें
एवं घटनाएँ लोमहर्षक
फिर हे प्रिये,
कहाँ से जुटेगे श्रोता
और कहाँ से फंसेगें दर्शक ?,,,,,,
धीरेन्द्र सिंह भदौरिया,,,,,
बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंकुशलता पूर्वक अपना सन्देश देने में सफल कविता बहुत कुछ कह गयी है ......बधाईयाँ जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....:)
जवाब देंहटाएंsach ko bahut hi sundar dhang se kaha aapne
जवाब देंहटाएंनेताओं पर व्यंग्य करती शानदार रचना
जवाब देंहटाएंमुझे लगा था बहुत गंम्भीर कविता होगी ...पर ये तो सटीक व्यंग्य है :)
जवाब देंहटाएंव्यंग करती अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सही .सार्थक अभिव्यक्ति भारतीय भूमि के रत्न चौधरी चरण सिंह
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंनेताओ ने देश का कर दिया बंटागोल
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी ब्लाग की टैम्पलेट बहुत ही आर्कषक लग रही है नागपाल जी का सहयोग बहुत कामयाब रहा है
सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति , साथ ही ब्लॉग का टेम्पलेट बड़ा सुन्दर लग रहा है। बस मेनू बार भी सेट कर लें।
जवाब देंहटाएंजय हो इन नेताओं की. जब इस देश का बंटाधार नहीं कर देंगे यह शांति से नहीं बैठेंगे.
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति.
सच कहा है ... फिर इन नेताओं की दूकान कैसे चमकेगी ....
जवाब देंहटाएंदेश को डुबो कर मानेंगे ये ...
बढ़िया व्यंग्य ...
जवाब देंहटाएंराजनितिक धुरंधरों कि पोल खोलती अच्छी व्यंग्यात्मक रचना !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़ियाँ रचना...
जवाब देंहटाएंनेताओ का राज बता दिया...
बहुत खूब....
:-)
सटीक व सुन्दर व्यंग्य .. :-)
जवाब देंहटाएंसटीक कटाक्ष...
जवाब देंहटाएंसटीक कटाक्ष... देश से इन्हें क्या मतलब अपना घर भरा रहे, ये तभी खुश...
जवाब देंहटाएंसुंदर व्यंग्य..प्रभावपूर्ण।
जवाब देंहटाएंवाह नेताजी !
जवाब देंहटाएंबनाए रहो राजा समस्याएं एक दिन ये ही तुम्हें खायेंगी देखते हैं कब तक सुरक्षित रह पातीं हैं शीला और सोनिया भी दिल्ली में .बढिया तंज की है इन .....महा -राजाओं पर लोकतंत्र के .
जवाब देंहटाएंयदि बेरोजगारों को
जवाब देंहटाएंमिल जाएगा रोजगार
फिर अपना कौन झाकेगा द्वार ?
किसको देगें हम आश्वासन,
और कौन सुनेगा अपना भाषण ?
bilkul sateek rachana ...karara vyang.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (24-12-2012) के चर्चा मंच-११०३ (अगले बलात्कार की प्रतीक्षा) पर भी होगी!
सूचनार्थ...!
Aabhar.shastri jee
हटाएंबस यही स्वार्थी मानसिकता तो प्रगति में बाधक है ...अच्छा व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग ....काश!कि ऎसी हमारी सोच न होती !
जवाब देंहटाएंbahut achha vyangy ....
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र सर वर्तमान परिस्थिति पर सटीक व्यंग कसा है बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य
जवाब देंहटाएंधीरेंद्र जी नमस्कार
जवाब देंहटाएंपूर्व में हुई चर्चा के अनुसार आपके ब्लाग 'काव्यांजलिÓ की कविता 'समाधान समस्याओं काÓ को भास्कर भूमि में प्रकाशित किया गया है। इस लेख को आप भास्कर भूमि के ई पेपर में ब्लॉगरी पेज नं. 8 में देख सकते है। हमारा वेब साइट है। www.bhaskarbhumi.com
सधन्यवाद
नीति श्रीवास्तव
Shukriya. Ñeeti jee
हटाएंज्ञान निदान नहीं है राजनीति का, उलझाये रहना ही सततता है इसकी।
जवाब देंहटाएंफिर हे प्रिये,
जवाब देंहटाएंकहाँ से जुटेगे श्रोता
और कहाँ से फंसेगें दर्शक ?,
सटीक व्यंग्य......
सामयिक रचना.....व्यंग्य अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंbadhiya.... achchha laga:)
जवाब देंहटाएंफिर हे प्रिये,
जवाब देंहटाएंकहाँ से जुटेगे श्रोता
और कहाँ से फंसेगें दर्शक ?
सटीक कटाक्ष...सुन्दर व्यंग्य धीरेंद्र जी
सही कटाक्ष करती शानदार रचना बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंपहले अपना ख्याल ज़रूरी है। :)
जवाब देंहटाएंAabhar.kuildeep jee
जवाब देंहटाएंआज के नेताओं को अवश्य पढना चाहये।इनके लिए उचित संदेश,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंसही कटाक्ष करती शानदार रचना बहुत बहुत बधाई .उचित संदेश,धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंवाह ......बहुत ही ज़बरदस्त।
जवाब देंहटाएंवाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंसटीक कटाक्ष!!
जवाब देंहटाएंनेता और जनता दोनों की हक़ीक़त।
जवाब देंहटाएंअच्छा व्यंग |
जवाब देंहटाएंआशा
अच्छे व्यंग बाण चलाये हैं आपने |
जवाब देंहटाएंवर्तमान हालात पर अति सटीक कटाक्ष।
जवाब देंहटाएंbhaut khubsurat....
जवाब देंहटाएंसत्यवचन।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सटीक व्यंग्य,,,,,
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