एक लड़की मुझसे कुछ कहना चाहती है,
उसकी बातों से लगता है, वो मुझे चाहती है!
उसने कहा कि, मैंने तुमसे प्यार किया,
मैंने उससे कुछ इस तरह इन्कार किया!
न मेरे पास है गाड़ी तुम्हे घुमाने के लिये,
और न पैसे है, तुम्हे सैर कराने के लिये!
हँसता रहता हूँ लोंगो को हँसाने के लिये,
जोकर सा बन गया हूँ, जमाने के लिये!
इतना ही कहा कि, वह रोने लगी,
मेरी बात काटकर वो कहने लगी!
प्यार अपने लिये किया, न कि जमाने के लिये,
प्यार की समा जलाई थी नकि बुझाने के लिये!
संभालने को दी थी नईय्या, नकि डुबाने के लिये,
प्यार तो पवित्र गंगा है, जीवन में बहाने के लिये!
मैंने उसकी बात समझ कर काटते हुए कहा,
हँसते हँसते उसके दुःख को बाँटते हुए कहा!
मेरा कोई इरादा न था, तुम्हे रुलाने के लिये,
हम तो तैयार है,तुमसे ब्याह रचाने के लिये!
dheerendra,"dheer"
bahut khub
जवाब देंहटाएंवाह क्या कहने |
जवाब देंहटाएंआशा
वाह |||
जवाब देंहटाएंप्यार ने बोलती हि बंद कर दि...
दिल को छु लेनेवाले भाव ....
बहूत हि सुंदर शानदार रचना....
सुन्दर हल्की-फुल्की रचना
जवाब देंहटाएंशाम के इस मौसम की तरह सुहानी सी कविता ...
जवाब देंहटाएंबहुत खूब, वाह..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब,....
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
जवाब देंहटाएंसूचनार्थ!
बहुत खूब .... सुंदर पोस्ट .... बधाई
जवाब देंहटाएंपूरी सिद्दत के साथ ,वर-श्रेष्ठ .....अनुकूल समय है
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...सुंदर रचना !!
जवाब देंहटाएंदावत की इंतज़ार ....:-)))
जवाब देंहटाएंहंसी-हंसी में इत्ता कुछ हो गया।
जवाब देंहटाएंप्यार तो पवित्र गंगा है, जीवन में बहाने के लिये....waah......
जवाब देंहटाएंwah ji wah kya baat hai bahut badhiya
जवाब देंहटाएंसर, इस उम्र में भी ..? कहीं कसक तो है। वाह, क्या प्रस्तुती है।......
जवाब देंहटाएंवैसे आपकी सक्रियता व निरंतरता की दाद दिए बिना नहीं रहूँगा।
:-)
जवाब देंहटाएंबात पुरानी है है..............एक कहानी है???????????
सादर.
हम तो समझे थे
जवाब देंहटाएंअब तक कर चुके
होंगे आप शादी
अच्छा किया
लिखी कविता
पूरी बात बता दी ।
देर आयद दुरूस्त आयद
जवाब देंहटाएंचलो बात बन ही गयी ...
संभालने को दी थी नईय्या, नकि डुबाने के लिये,
जवाब देंहटाएंप्यार तो पवित्र गंगा है, जीवन में बहाने के लिये!
क्या बात है. बहुत सुंदर रचना.
बनी रहे बात !
जवाब देंहटाएंपहले इन्कार फिर सीधा ब्याह - वाह
जवाब देंहटाएंइसमें कोई संदेह नहीं की इश्क प्यार औरमुहब्बत की बातें आपकी कलम (किबोर्ड) बेहतर रचती है, हो सकता है इसमें भी कोई राज छिपा हो जो भी हो हमें क्या ? आम खाने को मिल रहे हैं.पत्ते क्यों गिने ...? हा...हा....हा.................सुंदर प्रस्तुति..............
जवाब देंहटाएंबहुत खूब...सुंदर रचना...बधाई
जवाब देंहटाएंबढ़िया फार्मूला है ! मजेदार !
जवाब देंहटाएंsundar prastuti
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया सर जी.....मस्त!
जवाब देंहटाएंवाह वाह, बढिया अफ़साना है,प्यार यूं ही निभाना है।
जवाब देंहटाएंमेरा कोई इरादा न था, तुम्हे रुलाने के लिये,
जवाब देंहटाएंहम तो तैयार है,तुमसे ब्याह रचाने के लिये!
भैया भैया .कृपया यहाँ भी पधारें -
भैया और नैया और खिवैया ,फिर काहे लिखे हो नैईययाram ram bhai
बढ़िया प्रेम गीत है भैया ,पार लगाओ नैया
जवाब देंहटाएंभैया .कृपया यहाँ भी पधारें -
रविवार, 10 जून 2012
टूटने की कगार पर पहुँच रहें हैं पृथ्वी के पर्यावरण औ र पारि तंत्र प्रणालियाँ Environment is at tipping point , warns UN report/TIMES TRENDS /THE TIMES OF INDIA ,NEW DELHI,JUNE 8 ,2012,१९
http://veerubhai1947.blogs
Happy Ending and they happily lived ever after!!
जवाब देंहटाएंआपका पहले वाला निर्णय ही ठीक था। शादी करने के लिए प्रेमिका भले प्यार की पींगे बढ़ाए,मगर शादी के बाद उसे गाड़ी,बंगला और पैसा ही चाहिए!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya ....
जवाब देंहटाएंआप तो कमाल का लिखते हो
जवाब देंहटाएंHindi Dunia Blog (New Blog)
हा हा सही दास्ताँ है ... ऐसा ही होता है ...
जवाब देंहटाएंwaah waah...happy ending :-)
जवाब देंहटाएंमजेदार रचना
जवाब देंहटाएंयुनिक तकनीकी ब्लाग
धीरेन्द्र जी , ब्याह में जरुर बुलाना ! सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएंsir
जवाब देंहटाएंkya baat hai------bahut hi sundar pranay nivedan
bahut hi achha laga---
poonam
अच्छी हास्य-रचना !
जवाब देंहटाएं....मगर ऐसा मत करना |
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएं*हम तो तैयार है,तुमसे ब्याह रचाने के लिये*
जवाब देंहटाएंअंत यही होना था तो रुलाये क्यों .... ? अजमाना जरुरी तो नहीं .... !!
wah sir lajbab prastuti badhai sweekaren .
जवाब देंहटाएंsunder prastuti sneh ki anubhuti liye huye
जवाब देंहटाएंrachana
वाह ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रच्ना ...
बढिया रचना!!
जवाब देंहटाएंवाह ! बहुत रोचक....
जवाब देंहटाएंवाह भई घीरेंद्र जी बल्ले बल्ले
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंभाई जी अब आपको क्या कहूँ
जवाब देंहटाएंमाफ कीजियेगा जी
मैंने तो सुना है
शादी का विचार उठे मन माहि
तो पन्द्रह, बीस, पच्चीस में कीजे
हुए जब तीस, गए फिर खीझ
चालीस में फिर नाम न लीजे
पचास और साठ में मन ललचाए
तो काढ़ के जूता कपाल पे दीजे
वाह प्रभु जी आनंद आ गया.... जय हो
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना...बधाई..
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