कुसुम-काय कामिनी दृगों में.
कुसुम-काय कामिनी दृगों में जब मदिरा भर आती है
खोल अधर पल्लव अपने, मधुमत्त धरा कर जाती है,
कंचन वदन षोडसी जब, कटि पर वेणी लहराती है
पौरुष प्रभुता को भुजंग की,क्षमता से धमकाती है,
श्वास सुरभि से वक्षस्थल के,काम कलश सहलाती है
द्रष्टि काम में,भ्रमर भाव, जागृति करके भरमाती है,
खुले केश अधखुले नयन में, नींद लिये बलखाती है
रक्त वर्ण अधरों से अपने ,पुरुष दम्भ पिघलाती है,
प्रणय प्राश में बांध प्रभा को,विभा सदा इठलाती है
कभी केलि उसके संग करती, कभी उसे दुलराती है,
पुरुष प्रकृति का अंश,त्रिया सम्पूर्ण सृष्टि कहलाती है
सृष्टि- कर्म में देह धर्म का ,मर्म उसे समझाती है,
रचनाकार - विक्रम सिंह (केशवाही) शहडोल. म.प्र.
बहुत ही सुंदर वाह !
जवाब देंहटाएंक्या श्रृंगार! क्या उपमा! शब्द-शब्द सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (13-01-2014) को "लोहिड़ी की शुभकामनाएँ" (चर्चा मंच-1491) पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हर्षोल्लास के पर्व लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार... शास्त्री जी,,,
हटाएंoh...bahut sundar..ek yatharth
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ........
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .. श्रृंगार से ओत प्रोत , सुन्दर शब्द प्रवाह ..
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति सुन्दर भाव सुन्दर,
जवाब देंहटाएंमन सुन्दर तो वाणी सुन्दर,
वाणी सुन्दर तो भाषा सुन्दर
भाषा सुन्दर टी अर्थ भी सुन्दर
भावार्थ सुन्दर तो पाठक मगन
अब तो सब कुछ सुन्दर ही सुन्दर .
उपमा सुन्दरम रूपक सुन्दर
श्रृंगार - सौदर्य भी कितना सुन्दर
इस सौदर्यमयी रचना तो सलाम .
अति सुन्दर काव्य सौन्दर्य !
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनाएं !
नई पोस्ट हम तुम.....,पानी का बूंद !
नई पोस्ट लघु कथा
रचना में शब्दों का श्रंगार देखते ही बनता है ... काव्यमय अभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंश्रृंगार से ओत प्रोत ....सौदर्यमयी रचना !
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति,लोहड़ी कि हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर .श्रृंगार रस से ओत प्रोत.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : मकर संक्रांति और मंदार
--क्या बात है.....
जवाब देंहटाएंसुन्दरता कहं सुन्दर करई .....
सुन्दर।
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति--
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति की शुभकामनायें
आभार भाई जी-
वाह कितना खूबसूरत वर्णन है। शुभ संक्रांति पर्व।
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना.. शृंगार रस से उत्प्लावित!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट......बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-कुछ हमसे सुनो कुछ हमसे कहो
श्रंगार रस की बहुत उत्कृष्ट रचना...
जवाब देंहटाएंश्रृंगार रस से ओत प्रोत ,खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआइये ! फिर देखिये , महफिले - रंग मेरा , और मेरा जौक -शौक
जवाब देंहटाएंऔर को मदहोश करदे , कोई ऐसा भी है , जिसको खुद होश नही ,
बेहतरीन अभिव्यक्ति. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंhttp://himkarshyam.blogspot.in
बहुत सुंदर ....शृंगार रस की खूबसूरत रचना
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