रविवार, 27 जनवरी 2013

कैसा,यह गणतंत्र हमारा,

कैसा,यह गणतंत्र हमारा
 
भ्रष्टाचार , भूख  से  हारा
वंसवाद का लिये सहारा
आरक्षण  की बैसाखी पर,टिका हुआ यह तंत्र हमारा,

कैसा,यह गणतंत्र हमारा


महंगाई ने पैर  पसारा
वोटो को नोटों ने मारा
जाति-धर्म के नाग-पाश में,भ्रमित रहा मतदान हमारा,

कैसा यह गणतंत्र  हमारा


संसद में लगता यह नारा
जन से है जनतंत्र हमारा
लोकपाल भी लोभपाल से ,आज वही पर देखो हारा,

कैसा,यह गणतंत्र  हमारा,

विक्रम...................


गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....

52 टिप्‍पणियां:

  1. सोचने को विवश करती सुन्दर रचना।
    गणतन्त्रदिवस की बधाई हो!

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  2. कैसा यह गणतंत्र हमारा
    राजतन्त्र से भी गया-गुजरा .........

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  3. भारत का गणतंत्र अब विचार का विषय हो गया है,गण पर तंत्र भारी है,गण से तंत्र में गये टोपी वाले अपने ही मौज में है।

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  4. आक्रोश-
    सटीक प्रस्तुति |
    आभार भाई जी--
    शुभकामनायें ||

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  5. विचार करें सब कि यह विकार आया क्यों..

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  6. विचारणीय अभिव्यक्ति...
    साझा करने का शुक्रिया.
    सादर
    अनु

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  7. वाह!
    आपकी यह प्रविष्टि को आज दिनांक 28-01-2013 को चर्चामंच-1138 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ

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  8. महंगाई ने पैर पसारा
    वोटो को नोटों ने मारा
    जाति-धर्म के नाग-पाश में,भ्रमित रहा मतदान हमारा,

    बहुत सही ...सुन्दर रचना ..बधाई

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  9. कैसे कैसे लोग मूँग दल रहे हैं माँ की छाती पर ,
    अपना उल्लू साध रहे भाषा संस्कृति सब दाँव लगा कर !
    स्वार्थ और संकीर्ण वृत्ति से जब पायेंगे हम छुटकारा ,
    बोलेंगे तब ही जयकारा !

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  10. कैसा ये गण तंत्र हमारा ,

    गण फिरता है तंत्र का मारा ,

    पाजी कहलाते हैं सेकुलर ,

    मंत्री तीर्थ बना है तिहाड़ा .(तिहाड़ जेल )

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  11. जाति वाद को भुला कर हर भारतीय का कर्त्तव्य है की सही व्यक्ति को चुन कर संसद में लाये..आभार इस सुंदर प्रस्तुति के लिए..

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  12. सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति.

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  13. सुधार की बहुत आवश्यकता है। हम और आप ही सुधारेंगे । शुभकामनायें।

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  14. कैसा ये गण तंत्र हमारा ,
    गण फिरता है तंत्र का मारा ,
    बहुत सुंदर। मेरा हौसला बढाने के लिए धन्यवाद।

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  15. बहुत बढ़िया ...बहुत सटीक विवरण ..बधाई

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  16. वास्तविकता को उजागर करती रचना

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  17. बहुत बढ़िया है कविता बिलकुल आज की देश की हालत पर. लेकिन क्या किया जाए इस पर चर्चा ज्यादा होनी चाहिए . बहुत हो गया चिल्लाना और चीखना . इसके बाद उस दिशा में कर्म करना जरूरी है . नहीं तो हम सब चीखते ही रहेंगे जंतर मंतर , इडिया गेट आदि. जगह पर.

    dhanyawad

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  18. गणतंत्र की जो भी खामिया है आपने बड़े सुन्दर ढंग से शब्दों बाँधा है -बहुत सुन्दर

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  19. ह्र्दय की गहराई से निकली अनुभूति रूपी सशक्त रचना

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  20. आज के प्रशासनिक रवैये से आक्रोशित मन से निकले उद्दगार बहुत खूब बहुत अच्छा लिखा बधाई आपको

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  21. शुक्रिया आपकी टिपण्णी का

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  22. आज के हालातों की सार्थक बानगी ...

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  23. यथार्थ कहती सटीक रचना...
    सटीक अभिव्यक्ति...

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  24. बहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति....
    बधाई

    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

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  25. महंगाई ने पैर पसारा
    वोटो को नोटों ने माराnice

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  26. देश के गणतंत्र की हालत

    है आपने सुघर उघारा

    बहुत ही बढ़िया ......

    अनेकानेक बधाई

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  27. बहुत बढ़िया ...सच्चाई का सटीक चित्रण...बधाई

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  28. सटीक प्रस्तुति ...
    badhai vikrm ji ko .....der se aane ka khed hai !

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  29. बेहद सुन्दर और भाव पूर्ण रचना सर हार्दिक बधाई

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  30. देश के वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य के प्रति आम-जन के आक्रोश को सार्थक शब्द दिये हैं आपने -बधाई

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  31. धीरेन्द्र जी बहुत उम्दा लिखा है आपने और आप हमसे नाराज भी हैं पर नाराज न हों आप स्वयं देख सकते हैं कि लगभग एक महीने बाद हमने कोई पोस्ट डाली है मजबूरन सोमवार की चर्चा लगा पा रहा हूं किसी तरह... इधर कॉलेज काम से कुछ अतिरिक्त व्यस्तता आ गयी है उसके चलते...वैसे आपका नाराज होना लाजमी है पर हमें विश्वास है कि आपकी नाराज़गी ज़ल्द दूर कर दूंगा

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  32. वर्तमान हालात का बहुत सटीक चित्रण...

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  33. बहुत उम्दा,सुन्दर और भाव पूर्ण रचना

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  34. टूटता जाता है
    ताना-बाना तंत्र का
    तना हो जब गन
    गण कहां गाता है

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  35. सही कहा आपने कैसा गणतंत्र हमारा .....इस गणतंत्र को तो हमारे देश के लालची नेता जो गए....
    सुन्दर प्रस्तुति.....
    आभार....

    http://safarhainsuhana.blogspot.in/
    रीतेश गुप्ता, आगरा

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  36. बहुत ही खुबसूरत और सटीक कटाक्ष राष्ट्रीय पर्व के मर्म की कहानी आपकी जुबानी ...
    कुछ अपरिहार्य कारन वश कमेन्ट लिख नहीं पाया माफ़ी सहित . आप बड़े हैं और वैसे भी आपका दिल बड़ा है .जैसे आपकी हर रचनाएँ चाहे वो ग़ज़ल हों या गीत ...

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  37. मौजूदा हालत को बयाँ करती इक सशक्त रचना !

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  38. सच्चाई का सटीक चित्रण..,,,,,,

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आपकी टिप्पणियाँ मेरे लिए अनमोल है...अगर आप टिप्पणी देगे,तो निश्चित रूप से आपके पोस्ट पर आकर जबाब दूगाँ,,,,आभार,