बुधवार, 12 दिसंबर 2012

हमको रखवालो ने लूटा,

हमको रखवालो ने लूटा
 
देश को लूटा गद्दारों ने,दिल्ली दिलवालों ने लूटा, 
अस्मत गिरवी रखकर ,हमको रखवालो ने लूटा !

अपना माल समझकर ,जिसको देखो लूट रहा है
अंधीलूट में अज्ञानी बन,घर को घरवालो ने लूटा !

मधु भी न बची अछूती ,भरते जहां रोज प्याला, 
बदनाम हुई मधुशाला,मधु के मतवालों ने लूटा !

प्रवचन और उपदेश बहाने ,बन बैठे खुद ईश्वर, 
फँसे अज्ञानी भक्त ,बाबा बन नक्कालों ने लूटा !

अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो, 
तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों  ने लूटा !

 

51 टिप्‍पणियां:

  1. beshk ek behatareen rachana,ek bolti sacchayee देश को लूटा गद्दारों ने,दिल्ली दिलवालों ने लूटा,
    अस्मत गिरवी रखकर ,हमको रखवालो ने लूटा !

    अपना माल समझकर ,जिसको देखो लूट रहा है,
    अंधीलूट में अज्ञानी बन,घर को घरवालो ने लूटा !

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  2. अपने ही अपनों को लुटते हैं .....सार्थक लेखनी

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  3. प्रवचन और उपदेश बहाने ,बन बैठे खुद ईश्वर,
    फँसे अज्ञानी भक्त ,बाबा बन नक्कालों ने लूटा !
    रौशनी बांटने वालों की संदिग्द है रौशनी ....

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  4. अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा !

    वाह ! लाजबाब अभिव्यक्ति ,अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो !!

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  5. अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा !

    बहुत सुंदर संदेश देती हुई सामयिक गज़ल

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  6. देश को लूटा गद्दारों ने,दिल्ली दिलवालों ने लूटा,
    अस्मत गिरवी रखकर ,हमको रखवालो ने लूटा !
    एक एक पंक्ति सत्यता बयां करती है। वाकई हमे तो ना जाने कितने गद्दारों ने लूटा।

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  7. श्रीमान जी रखवाले है हि कहा हर जगह लूटैरे है यहा तो
    युनिक तकनीकी ब्लाग

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  8. बेहद लाजबाब रचना.शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन

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  9. वाह धीरेन्द्र सर जवाब नहीं आपका लाजवाब सुन्दर रचना बधाई स्वीकारें
    RECENT POST चाह है उसकी मुझे पागल बनाये

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  10. इस लूट में खुद को लुटने से बचा लें,यही बहुत होगा हमारे लिए।

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  11. लूट के इस खेल के प्रति आक्रोश की अभिव्यक्ति ...
    बहुत खूब ...

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  12. बढ़िया है सर जी !


    अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा !

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  13. सीधी - सपाट पर सच्ची खरी बात... लाजबाब अभिव्यक्ति

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  14. वाह.

    कभी उस से, कभी इस से, और न जाने किस किस से.... रोज लूटे हम.

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  15. घर वाले ही लूट गये, ख़ज़ाना उनको ही तो मालूम था।

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  16. बहुत खूब...सभ्य समाज के लुटेरो से अवगत कराती सुंदर प्रस्तुति।।

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  17. आम आदमी की पीड़ा को आपने मुखर स्वर दे दिया कविता के शिल्प में |आभार

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  18. आपकी रचना की चर्चा भास्कर भूमि में भी
    http://bhaskarbhumi.com/epaper/inner_page.php?d=2012-12-14&id=8&city=Rajnandgaon

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  19. सत्य वचन ...धीर जी आपकी चिंता वाजिब है !
    शुभकामनाये!

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  20. सच कहा आपने २४ कैरेट की तरह खरे ख्यालात .

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  21. बेहतरीन, अति सार्थक व सत्य का दर्पण दिखती अति प्रभावी रचना।काश यह उनके हृदय को स्पर्श करे जो देश की अस्मिता के साथ खिलवाड़ करते रहे हैं।

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  22. लाजवाब सृजन ,भावो से परिपूर्ण ****^^^^***** अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा

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  23. अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा ! ...वाह ्बहुत बढ़िया..शानदार रचना!!

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  24. जिसको जिसने भी लूटा हो, हमने तो इस काव्य रचना के पठन का आनन्द लूटा।

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  25. हमको तो रखवालों ने लुटा .........सटीक रचना !!

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  26. अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा !

    बहुत सुंदर प्रस्तुति.

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  27. फँसे अज्ञानी भक्त ,बाबा बन नक्कालों ने लूटा ...
    बहुत शानदार रचना, आजकल लूटने वालों से ज्यादा लुटने वाले आगे है :)

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  28. प्रवचन और उपदेश बहाने ,बन बैठे खुद ईश्वर,
    फँसे अज्ञानी भक्त ,बाबा बन नक्कालों ने लूटा !

    सच्चाई बयां करती रचना

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  29. बहुत शानदार ग़ज़ल शानदार भावसंयोजन हर शेर बढ़िया है आपको बहुत बधाई

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  30. अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा !

    ...बहुत सुन्दर और सटीक गज़ल...

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  31. वाह ...बढ़िया प्रस्तुति ...:)

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  32. कामना करें कि नए वर्ष में सब अच्छा ही अच्छा हो।

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  33. बहुत सुन्दर और सटीक गज़ल...

    जवाब देंहटाएं
  34. अभी बची यदि खुद्दारी हो,अपने को मत लुटने दो,
    तुमको लूटा अंधियारों ने,हमको उजियालों ने लूटा !

    बहुत सुंदर प्रस्तुति.

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