आगे कोई मोड नही
मुझे जिन्दगी के
रथ पर बैठा दो,
और उसके अश्वो को
पवन वेग से दौडा दो,
उस काल खंड तक
जहाँ प्यार में खोये
सब पलों का दर्द
बेमानी हो जाता है!
इक नई शुरुआत के
आश्वाशन पर
या
इस रथ को
ले चलो अतीत की ओर,
उस बिंदु तक
जहां कुछ गलत मोड मुड आये थे,
एक ऐसी राह पर
जिसके आगे
फिर कोई मोड नही है!
या फिर
घुमते इस काल चक्र से
कहो तो चुरा लूँ वह पल
जब हम एक साथ जिए थे,
सहेज रखूं उसे ही मन मस्तिष्क में,
संबल बन जाए वही
मेरे एकाकीपन का.....
DHEERENDRA,"dheer''
उस बिंदु तक
जवाब देंहटाएंजहां कुछ गलत मोड मुड आये थे,
बढ़िया प्रस्तुति ।
आभार ।
धीरेन्द्र जी
जवाब देंहटाएंघुमते इस काल चक्र से
कहो तो चुरा लूँ वह पल
जब हम एक साथ जिए थे,
बहुत ही मार्मिक रचना. शब्दों को जुबां के साथ नया एहसास भी दे दिया आपने इस कविता में.
....आशा करता हूँ कि आपको सही मोड़ और आपका पल जल्द मिले !
जवाब देंहटाएंएक गहरी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंमन को गहराई तक छूते भाव... लाजवाब रचना के लिए आपका आभार
जवाब देंहटाएंकाश के जीवन रथ ले जाता अतीत में......गलतियां सुधारने को..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव सर.
सादर.
घुमते इस काल चक्र से
जवाब देंहटाएंकहो तो चुरा लूँ वह पल
जब हम एक साथ जिए थे,
मन को छूते भाव, सुंदर रचना. नया एहसास ... आभार ।
गहन भाव लिए बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंजीवन का पल दो पल का नखलिस्तान ही जीवन का सच है ,ओएसिस है .संजोये रखो उसे बढ़िया प्रस्तुति उर वीणा के तारों सी .कृपया यहाँ भी पधारें रक्त तांत्रिक गांधिक आकर्षण है यह ,मामूली नशा नहीं
जवाब देंहटाएंशुक्रवार, 27 अप्रैल 2012
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_2612.html
मार -कुटौवल से होती है बच्चों के खानदानी अणुओं में भी टूट फूट
Posted 26th April by veerubhai
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/04/blog-post_27.html
्बेहद गहन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंकाफी गहराई में उतरकर लिखा है .
जवाब देंहटाएंबढ़िया .
गहन अभिव्यक्ति बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंsundar shabdavali.aabhar.
जवाब देंहटाएंsundar gahan abhivyakti
जवाब देंहटाएंमत भेद न बने मन भेद- A post for all bloggers
बेहद खूबसूरत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत गहन और सुंदर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसबकी इच्छा लगभग ऐसी ही है...... काश पहुँच सकते उस कालखंड में या सुदूर अतीत में.
जवाब देंहटाएंवाह, क्या सुन्दर भाव है. साधुवाद.
पर...बीता हुआ पल आता नहीं दुबारा..
हटाएंवाह...बहुत सुन्दर, सार्थक और सटीक!
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
"कहो तो चुरा लूँ वह पल
जवाब देंहटाएंजब हम एक साथ जिए थे,
सहेज रखूं उसे ही मन मस्तिष्क में,
संबल बन जाए वही
मेरे एकाकीपन का....."
बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !
कल 29/04/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
हलचल - एक निवेदन +आज के लिंक्स
जब विकल्प के सारे बन्ध टूट जाते हैं, जीवन मोड़ विहीन हो जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना --------सुन्दर भाव --------मन को छु गया
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबढिया बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंगहन गंभीर रचना |गहरे भाव |
जवाब देंहटाएंआशा
इस रथ को
जवाब देंहटाएंले चलो अतीत की ओर,
काश .....
बहुत सुन्दर गहन अभिव्यक्ति धीर जी बस ख़्वाबों में ही हम अपने रथ को मोड़ सकते हैं हकीकत में तो उस और ही दौड़ रहा है जहां से फिर कोई मोड़ नहीं जबाब नहीं आपकी इस रचना का
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ही सुन्दर ...
जवाब देंहटाएंमोड़ तो हमेशा रहेंगे जिंदगी में। रहना भी चाहिए।
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna
जवाब देंहटाएंbehatariin rachana ,badhaaii dhiirendra jii
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति....
जहां कुछ गलत मोड मुड आये थे,
जवाब देंहटाएंएक ऐसी राह पर
जिसके आगे
फिर कोई मोड नही है!
खूबसूरत प्रस्तुति
बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंघुमते इस काल चक्र से
जवाब देंहटाएंकहो तो चुरा लूँ वह पल
जब हम एक साथ जिए थे,
सहेज रखूं उसे ही मन मस्तिष्क में,
संबल बन जाए वही
मेरे एकाकीपन का.....
एक गंभीर प्रस्तुति. बधाई.
अपनी कविताओं में बहुत ही सुंदर भाव को स्थान दे रहे हो धीर भाई । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंइस रथ को
जवाब देंहटाएंले चलो अतीत की ओर,
उस बिंदु तक
जहां कुछ गलत मोड मुड आये थे,
एक ऐसी राह पर
जिसके आगे
फिर कोई मोड नही है!
Bahut khoob
सुन्दर रचना ...आभार !
जवाब देंहटाएंकहो तो चुरा लूँ वह पल
जवाब देंहटाएंजब हम एक साथ जिए थे,
सच में एकाकीपन के यही तो संबल है
सुंदर भाव भरी रचना !
कहो तो चुरा लूँ वह पल
जवाब देंहटाएंजब हम एक साथ जिए थे,
सहेज रखूं उसे ही मन मस्तिष्क में,
संबल बन जाए वही
मेरे एकाकीपन का.....
सुंदर भाव ...सुंदर अभिव्यक्ति ....!!
प्रेम का सुन्दर चित्रण ... बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर गहन भवाव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंइस रथ को
जवाब देंहटाएंले चलो अतीत की ओर,
उस बिंदु तक
जहां कुछ गलत मोड मुड आये थे,................... उपरोक्त सुंदर प्रस्तुति हेतु आपका आभार.
gahan bhav.....sundar post
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना,अच्छा विषय । समय की धारा मेँ सबकुछ बीतता है नहीँ बीतती तो समय की समता व तटस्थता ।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंअरुन (arunsblog.in)
सही कहा,गलतियों को सुधरने की तमन्ना सभी रखते है.
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति
संबल बन जाए वही
जवाब देंहटाएंमेरे एकाकीपन का....prerna deti hui.....
सुन्दर रचना ...आभार ...
जवाब देंहटाएंगहरे भाव लिए हुए सुन्दर अभिव्यक्ति....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना...
समय के बीते हुए मोड कब वापस आते हैं...कभी नहीं...
जवाब देंहटाएंहम चलें आज प्रिय एक एसी जगह
हो जहां का जहां पर किनारा कोई।
वाह! बहुत भावपूर्ण रचना। बधाई धीरेन्द्र जी।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना ,लेकिन बिना मोड़ों के जीवन एकदम सीधा-सपाट -सा रह जायेगा !
जवाब देंहटाएंbahut hi gahre man se likhi gyi rachna ...........adbhut !
जवाब देंहटाएंइस रथ को
जवाब देंहटाएंले चलो अतीत की ओर,
उस बिंदु तक
जहां कुछ गलत मोड मुड आये थे,
एक ऐसी राह पर
जिसके आगे
फिर कोई मोड नही है!
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !
कमाल की प्रस्तुति ....जितनी तारीफ़ करो मुझे तो कम ही लगेगी
जवाब देंहटाएंकहो तो चुरा लूँ वह पल
जवाब देंहटाएंजब हम एक साथ जिए थे,
सच में एकाकीपन के यही तो संबल है !
इन पलों को संभाल कर आगे ही बढ़ा जाए और क्या !!
अच्छी रचना !
Jindagi ke kashmas ko badi khubsurti se byan kiya hai...
जवाब देंहटाएंsaadr...!
घुमते इस काल चक्र से
जवाब देंहटाएंकहो तो चुरा लूँ वह पल
जब हम एक साथ जिए थे,
सहेज रखूं उसे ही मन मस्तिष्क में,
संबल बन जाए वही
मेरे एकाकीपन का....
सुंदर प्रस्तुति
बहुत ही सुन्दर रचना है.......
जवाब देंहटाएंएकाकीपन गीत सृजन का तत्व हुआ
जवाब देंहटाएंइसीलिये एकाकी से अपनत्व हुआ.
सुंदर भाव.
बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंकालचक्र का अहसास कराती.
बीते काल में लौटना आसान होता तो फिर बात ही क्या थी ...
जवाब देंहटाएंमन के भावों कों शब्द दिये हैं आपने ...
bahut hi khoobsurat Abhivyakti Shree!
जवाब देंहटाएंघुमते इस काल चक्र से
जवाब देंहटाएंकहो तो चुरा लूँ वह पल
जब हम एक साथ जिए थे,
सहेज रखूं उसे ही मन मस्तिष्क में,
संबल बन जाए वही
मेरे एकाकीपन का..... jiwant lines. shubhkamna
बहुत खूबसूरत रचना.....
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