सोमवार, 10 सितंबर 2012

मेरे सपनो का भारत,,,,


मेरे सपनो का भारत

वर्षों पहले हम आजाद हुए ,आजाद तराना गाते है,
शान-ऐ तिरंगा लहराकर,भारत स्वतंत्र बतलाते है!

स्वतंत्रता का मतलब क्या , भ्रष्टाचार इतिहास गढे,
क्या गाँधी ने सोचा था,कि भारत में आतंकवाद बढे!

मेरे भारत के नेता गण , क्या मनोदशा के रोगी है,
निशदिन बढ़ती मँहगाई,ढोंगी नेताओं की भोगी है!

मजबूरी में दे रहे जान,किसान देश का अन्नदाता,
वोटो से नेता बनते,बन जाते फिर भाग्य-विधाता!

देख रही सारी जनता,कट गया हाथ मजबूरी है
जनता से ही है शासन,बस कुछ सालो की दूरी है

कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!


धीरेन्द्र भदौरिया
OBO - अंक 23 -में शामिल रचना


53 टिप्‍पणियां:

  1. जी पढ़ा है |
    खुबसूरत रचना के लिए बधाई |
    धीरेन्द्र भाई ||

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  2. पहले स्वतंत्रता का मतलब ही समझना है तभी सपनों का भारत सपनों से बाहर निकलेगा

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  3. कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
    ....एक सार्थक रचना !!

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  4. सपनों का भारत जरूर बनेगा ... साहस और विश्वास बना रहे ...
    सार्थक रचना ...

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  5. देश की मौजुदा हालत देख रर तो लगता है, सपनों का भारत ..शायद सपनों में रह जाएगा..सार्थक रचना..

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  6. बेहतरीन सुन्दर सार्थक रचना सर, बहुत-२ बधाई स्वीकारें

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  7. कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
    साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!

    सकारात्मक संदेश देती अच्छी रचना

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  8. कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
    साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!
    सार्थक रचना..

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  9. शानदार रचना टूटे हुए खाबों का रूपक ,भ्रष्ट व्यवस्था और वोट तन्त्र को ललकारती रचना .

    वर्षों पहले हम आजाद हुए ,आजाद तराना गाते है,(हैं )
    शान-ऐ तिरंगा लहराकर,भारत स्वतंत्र बतलाते है!(हैं !)

    स्वतंत्रता का मतलब क्या , भ्रष्टाचार इतिहास गढे,
    क्या गाँधी ने सोचा था,कि भारत में आतंकवाद बढे!

    मेरे भारत के नेता गण , क्या मनोदशा के रोगी है,(हैं )
    निशदिन बढ़ती मँहगाई,ढोंगी नेताओं की भोगी है!

    मजबूरी में दे रहे जान,किसान देश का अन्नदाता,
    वोटो(वोटों )से नेता बनते,बन जाते फिर भाग्य-विधाता!

    देख रही सारी जनता,कट गया हाथ मजबूरी है
    जनता से ही है शासन,बस कुछ सालो(सालों ) की दूरी है

    कब तक ये जुल्म सहेगें(सहेंगे ),लगाओ मिलकर ताकत,
    साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो(सपनों ) का भारत!
    बधाई इतनी सुन्दर रचना के लिए .

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  10. कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
    साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!

    सही लिखा है सर...प्रयास जरूरी है|

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  11. मेरे सपनों के भारत को बढ़ने का पोषण दो।

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  12. कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
    साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!

    बहुत ही खूबसूरत कविता आभार |

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  13. "मेरे सपनों का भारत "कुछ सच्चाइयों की तरफ ध्यानाकर्षित करती है | बढियां रचना है सर |

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  14. भारत की बिडम्बना का ह्रदय स्पर्शी चित्र उकेरती एक सार्थक रचना!

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  15. वाह !!......
    भारत की बिडम्बना का
    ह्रदय स्पर्शी चित्र उकेरती,
    सच्चाइयों की तरफ
    ध्यानाकर्षित करती
    एक सार्थक रचना! आभार

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  16. अब सपनो में ही भारत कि छवि रह गयी है...सुन्दर ।

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  17. भावमय करते शब्‍दों का संगम ... आभार इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए

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  18. भारत ... विश्व गुरु बने ... यह हमरा .. धेय्य होना चाहिए

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  19. सुंदर रचना |बहुत खूब लिखा है आपने | बधाई स्वीकारें धीरेन्द्र जी | आभार |

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  20. बहुत ही शानदार अभिव्यक्ति.

    मिलकर और अच्छी प्रकार से सोच समझ कर
    ताकत लगाने से ही काम चलेगा अब.

    प्रेरक प्रस्तुति के लिए आभार.

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  21. सपनों का भारत बनाने में हम मे से हरेक को करना होगा योगदान ।

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  22. कब तक ये जुल्म सहेगें,लगाओ मिलकर ताकत,
    साकार तभी हो बन जाये , मेरे सपनो का भारत!

    इन दो पंक्तियों में आपने बहुत सारा मेसेज दे दिया है.बहुत खूब.

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  23. सुधीजनो,,,,,पाठकों,,,
    अचानक कार्य बस बाहर जा रहा हूँ,१७/९/ को शाम फिर मिलते है,,,,सहयोग के लिये आभार,,,,

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  24. देश के हालात का सच्चाई से बयान किया है ...अच्छी प्रस्तुति

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  25. इस बार जनता कुछ कमाल तो करेगी वैसे अब वो भी जान चुकी है की परिवर्तन जरुरी है..तभी सपनों का भारत सच में अपने वास्तविक रूप को प्राप्त कर पायेगा..
    सुन्दर भावपूर्ण रचना श्रीमान जी...धन्यवाद !!

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  26. http://thehinduvoice.blogspot.in/
    घायल भारत माता की तस्वीर दीखाने आया हू

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  27. वाह धीरेन्द्र जी बहुत सुन्दर चित्र प्रस्तुत किया है इस काव्य के माध्यम से
    बहुत बहुत बधाई

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  28. मिलकर और अच्छी प्रकार से सोच समझ कर
    ताकत लगाने से ही काम चलेगा अब.

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